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________________ भगवान् है । करीब तीस धातु की मूर्तियाँ हैं शासन देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। यह मंदिर आरनी नगर के एक कोने में कोशाप्पालयं नामक वीथी में है। यहाँ ५० दिगम्बर जैनियों के घर है। मंदिर की व्यवस्था अच्छी है । तिरुमलै :-- पोलूर तालुका से उत्तर-पूर्व में १२ कि. मी. दूरी पर 'वडमादिमंगल' है । वहॉ से ५ कि. मी. पर यह गाँव है। यहाॅ एक छोटे से पहाड़ पर १८ फुट ऊँची नेमिनाथ भगवान् की प्रतिमा दृष्टिगोचर हो रही है । यहाॅ के शासन में 'कुन्दवै जिनालयं' का नाम अंकित है । कुन्दवै चोलराजा की बहन थी । तमिलनाडु की प्रतिमाओं में यही सबसे ज्यादा ऊँची मानी जाती है। इस पहाड़ के नीचे दो मंदिर है । यहाँ की गुफाओं में चोल राज्य की चित्रकारी है, परन्तु घिसी हुई है। इसमें समवसरण भी है, चट्टान पर कुछ सुन्दर मूर्तियां उत्कीर्ण है । 1 दूसरा शासन यह बतलाता है कि तिरुमलै परवादिमल्ल के शिष्य अरिष्टनेमि आचार्य महाराज ने एक जिन प्रतिमा बनवाकर रखी है और एक शासन बतलाता है कि पल्लव राजा की रानी 'इलैय मणिमगै' नामक देवी ने इस मंदिर लिए नन्दादीप (अखण्ड दीप) के वास्ते साठ सोने टका और जमीन दी थी । नेमिनाथ भगवान् को ‘शिखामणिनाथर' भी बोलते हैं। इन मंदिरों में कई धातु की मूर्तियां है साथ ही शासन देवी-देवताओं की मूर्तियां भी है। एक छोटा सा झरना है जिसका पानी भगवान् की पूजा आदि के काम में भी आता है । सबसे ऊपर छोटा सा पार्श्वनाथ जिनालय है। उसके ऊपर एक चट्टान पर तीन पादुकाऍ उत्कीर्ण हैं । वे श्री वृषभाचार्य, श्री समन्तभद्राचार्य एवं श्री वरदत्त गणधर की बताई जाती है । यह हजारों साधु-संतों की तपोभूमि रही है तथा अत्यन्त ही पवित्र स्थल है। कहा जाता है कि यहाँ Jain Education International 49 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003645
Book TitleTamilnadu Digambar Tirthkshetra Sandarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatvarshiya Digambar Jain Mahasabha Chennai
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year2001
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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