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________________ उल्लिखित सातों क्षेत्रों के सभी दिगम्बर जैन धार्मिक तीर्थ-स्थलों की सुरक्षा, प्रबन्ध एवं जीर्णोद्धार की परमावश्यकता है । मुनियों और विद्वानों के आवास एवं आहार आदि की समुचित व्यवस्था भी अविलम्ब होनी चाहिए । प्राथमिकता के आधार पर हम कम से कम अत्यन्त महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों का काम आरम्भ कर सकते हैं । ऐसे तीर्थ स्थलों पर ही यहाँ जानकारी दी जा रही है। चेन्नई:- चेन्नई तमिलनाडु प्रान्त की राजधानी है, यहाँ सब तरह का वाणिज्य चलता है। करीब ८० लाख जनता इसी नगरी में निवास करती है। यहाँ ६ दिगम्बर जैन मन्दिर है । भगवान् चन्द्रप्रभ जिनालय जिसे जूना मंदिर बोलते हैं लेकिन तीन वर्ष पहले इस मंदिर का पूर्ण नव-निर्माण कराया गया। मंदिर के नीचे धर्मशाला है तथा दूसरी मंजिल पर चन्द्रप्रभ की अत्यन्त अतिशयकारी प्रतिमा है । तीसरी मंजिल में भगवान् शांतिनाथ, अनन्तनाथ, महावीर भगवान् की खड्गासन मूर्तियाँ हैं । एक मंदिर आदिनाथ जिनालय (११, कुंडलियार स्ट्रीट) कोण्डीतोप में हैं । आर्यिका विजयमती माताजी के संघ ने चेन्नई में चातुर्मास करने का निश्चय किया लेकिन चातुर्मास के लिये जगह नहीं थी। उसी समय उत्तर भारत के जैन धर्मानुरागी बंधुओं ने मिलकर इस भवन को खरीदा तथा माताजी के सान्निध्य में आदिनाथ भगवान् की प्रतिमा विराजमान कर इसे मंदिर का रूप दिया । नीचे ६ कमरे एवं २ हॉल है, तीसरी मंजिल पर स्वाध्याय हॉल है और यहाँ यात्रियों के लिये सभी प्रकार की सुविधा की व्यवस्था की गई है। दूसरे मंदिरजी अम्बत्तुर, मुगप्पियार, आरम्बाक्कम व चन्द्रप्पामुदली स्ट्रीट में स्थापित है। चेन्नई में स्थाई नैनार दिगम्बर जैन के करीब ७०० परिवार है। यहाँ तीन दिगम्बर जैन मंदिर है। पहला कलकत्ता के निवासी सेठ बैजनाथ सरावगी के द्वारा बनवाया गया । पुरातन शिखरबद्ध चन्द्रप्रभ भगवान् का मंदिर हैं । यह अब नया बन गया है। नीचे धर्मशाला भी है । इसका पता : ३४ सुब्रहमण्यम् मुदली स्ट्रीट, चेन्नई-७६ (नटूपिल्लायर स्ट्रीट के पास ) चेन्नई रेल्वे स्टेशन से करीब एक किलोमीटर दूरी पर है। दूसरा उत्तर भारत से व्यापार के लिए आये हुए जैन लोगों द्वारा बनवाया गया खण्डेलवाल दिगम्बर जैन मंदिर है । इसके नीचे धर्मशाला भी है। इसका पता - ११, कोण्डलियार स्ट्रीट, कोण्डितोप, चेन्नई-७६ है। तीसरा चन्द्रप्पामुदली स्ट्रीट में हैं । यह कानजी (सोनगढ़) भक्तों द्वारा बनवाया गया है । चेन्नई में तमिलनाडु के स्थायी दिगम्बर जैनों के ७०० से भी ज्यादा घर है। सर्विस वाले होने के कारण वे सारे शहर में फैले हुए हैं । उत्तर भारत से व्यापार के लिये आये हुए दिगम्बर जैनों के घर करीब १०० है । सभी व्यापारी लोग हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003645
Book TitleTamilnadu Digambar Tirthkshetra Sandarshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatvarshiya Digambar Jain Mahasabha Chennai
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year2001
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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