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शुभकामना सन्देश
दक्षिण भारत दिगम्बर जैन तीर्थ संरक्षिणी महासभा अपनी पुरा-सम्पदा के महत्व को रेखांकित करने के लिए अधिवेशन और स्मारिका के प्रकाशन की आयोजना कर रही है, यह एक महत्वपूर्ण प्रसंग है। दक्षिण भारत में विशेषतः तमिलनाडु में जैन संस्कृति की सम्पदा को संरक्षण और जीर्णोद्धार की जितनी आवश्यकता है, उसके प्रचार-प्रसार की भी उतनी ही जरुरत है। इस ओर महासभा के कर्णधारों का ध्यान गया, यह आने वाने कल के लिए शुभ संकेत है।
आज नवनिर्माण की होड़ में प्राचीनता के विनाश का सर्वत्र एक अभियान चल रहा है । प्रचलित पूजा-पद्धतियों में परिवर्तन लाने के प्रयास किये जा रहे हैं, जिससे नई पीढ़ि के मन में अनास्था और धर्म के प्रति अरुचि पैदा हो रही है। यह समूची जैन संस्कृति के लिए 'आत्मघात' जैसा हानिकारक कृत्य है।
मुझे विश्वास है कि यह आयोजन हमारी प्राचीन धरोहर के रखरखाव के लिए समाज में जागृति और उत्साह उत्पन्न करेगा। आयोजकों को बधाई देते हुए मैं आयोजन की सफलता की कामना करता
नीरज जैन
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा
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