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तंजाऊर जिले में जो शासन मिलते हैं। उनसे जाना जाता है कि बहुत सी जगह जैन लोग निवास करते थे। सब जगह 'पल्लिचन्द' के नाम से दान का महात्म्य बतलाया गया है। कालदोष के कारण सद्धर्म जो अहिंसामय धर्म है, उसका हास हुआ। विद्वेषियों ने हास किया। हिंसामय धर्म की अभिवृद्धि हुई । कलिकाल का दोष ही कहना चाहिए और क्या कहें ?
रामनाथपुरं जिला
अनुमन्तक्कुडि :- रामनाथपुरं के उत्तर में ४५ कि.मी. पर है । इस गाँव में मलवनाथ (मल्लिनाथ) स्वामी का जैन मन्दिर है। यहाँ पर एक शासन है । यह ई.१५३५ का है। विजयनगर साम्राज्य के काल में लिखा गया है। इसमें 'जिनेन्द्रमंगलं' गाँव का नाम है। यहाँ अब भी जैनों के २ घर है । एक जैन मन्दिर है । उनमें चार धातु की प्रतिमायें हैं ।
मदुरै (मदुराई) जिला
मदुरै महानगरी वास्तव में दिगम्बर जैन पर्वतों की नगरी थी । यहाँ के २१ पर्वत तीर्थंकरों की उत्कीर्ण मूर्तियां ध्यान गुफाओं एवं शयन-पाषाण-पद्यों से युक्त थे। सर्वत्र निरन्तर धार्मिक एवं सांस्कृतिक वातावरण था । यहाँ का प्रसिद्ध मीनाक्षी मन्दिर उस समय कूष्मांडिनी देवी-मन्दिर के रूप में विख्यात था । अन्य देवियों और तीर्थंकरों की भव्य एवं विशाल प्रतिमायें थी। इसमें पूराने राजमहल तक जाने वाली सुरंग भी है। अब सरकार द्वारा प्रतिबन्धित है।
कहते हैं यहाँ शंकराचार्य (६ वीं शती) के समय में सहस्रों जैन मुनियों को अपमानित कर घानी
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