________________
14. Who were the Indus People? : Review of teh book written by Mahadevan in Sunday
Standard Aug. 19, 1979 by S. B. ROY; See fn. 12.
15.
-do
16. जैन व्यापारी जिस लिपि का उपयोग परम्परया करते रहे हैं उसे "मोड़ी" कहा जाता है । यह घसीट लिखाई
है। इसमें त्वरा का महत्त्व है। यह दक्षिण भारत से संबद्ध मानी जाती है। - मानक हिन्दी, कोश; भाग ४; पृष्ठ ४२१; रामचन्द्र वर्मा ।
17. आदिनाथ, ब्रह्मा, महायोगी, आदिदेव, महादेव, प्रजापति आदि ।
18. "ऋषभदेव ने ही संभवतः लिपिविद्या के लिए कौशल का उद्भावन किया । ऋषभदेव ने ही संभवतः ब्रह्मविद्या
की शिक्षा के लिए उपयोगी ब्राह्मी लिपि का प्रचार किया था।" -हिन्दी विश्वकोश, प्रथम भाग, संपादकनगेन्द्रनाथ वसु; पृष्ठ ६४; पुरुदेव चम्पू; महाकवि अर्हद्दास; षष्ठ स्तवक ३६, ४० ।
19. "ब्रह्मा देवानां प्रथमः संबभूव विश्वस्य कर्ता भूवनस्य गोप्ता ।
स ब्रह्मविद्यां सर्वविद्याप्रतिष्ठामथर्वाय ज्येष्ठपुत्राय प्राह ।"
—-मुण्डकोपनिषद् १.१
-देवताओं में सर्वप्रथम ब्रह्मा उत्पन्न हुए। वे विश्व के कर्ता; असि, कृषि, मसि, वाणिज्य, शिल्प और विद्या के संप्रदाता थे; इसीलिए तीनों भुवनों के रक्षक थे । उन्होंने समस्त विद्याओं में प्रतिष्ठित ब्रह्मविद्या (अध्यात्म विद्या) अपने ज्येष्ठ पुत्र अथर्व - भरत - के निमित्त कही।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org