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________________ आचार्य कुन्दकुन्द द्विसहस्राब्दी समारोह [दीपावली, १९८७ ई० से महावीर जयन्ती, १९८६ ई० तक] इस रूप में अवश्य मनाइये - • कुन्दकुन्द ज्ञानचक्र का प्रवर्तन । • कुन्दकुन्द नेशनल लाइब्रेरो ऑफ जेनिज्म की स्थापना। • विभिन्न समारोहों का आयोजन । • जैन (शिक्षण) पत्राचार पाठ्यक्रम योजना। • सेमीनारों का आयोजन । • कुन्दकुन्द साहित्य का प्रकाशन । • प्राकृत भाषा शिविर का आयोजन । विद्वानों द्वारा कुन्दकुन्द सम्बन्धी साहित्य पर कार्य कराना तथा प्रकाशित कराना। स्मारिका प्रकाशन । • युवकों में चारित्र-निर्माण अभियान । • शिक्षण-शिविरों का आयोजन करें। • कुन्दकुन्द रचित ग्रन्थों की मूलगाथा के अखण्ड पाठ प्रायोजित करें। • निकटवर्ती तीर्थस्थलों तक पदयात्रा का आयोजन करें। • आध्यात्मिक गोष्ठियों का आयोजन करें। • निबन्ध प्रतियोगिताओं का आयोजन करें। • वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन करें। • गाथा-पाठ प्रतियोगिताओं का आयोजन करें। • कुन्दकुन्द साहित्य का विक्रय करें। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003644
Book TitleMohan Jo Dado Jain Parampara aur Praman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandmuni
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year1988
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, P000, & P035
File Size3 MB
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