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________________ चित्रपरिचय विभाग श्री विजयकमलमूरीश्वरजी (गुजराती) (जुभो चित्र नं. ५) संवेगी साधुताना पालक, वडोदरा मुनिसंमेलनना आद्य प्रेरक अने प्रमुख श्री विजयकमलसूरीश्वरजी जैनसमाजमां अनेक रीते विख्यात छे. एमनो शास्त्राभ्यास, साधुओ परनो अद्वितीय प्रभाव अने शासन-हितैषिता आजे चिरंजीव छे. आवा साधुवर्यनो जन्म मूळ राधनपुरना पग वर्षोथी पाली ताणामां वसता कोरडीया कुटुंबमा थयो हतो. तेमना पितानु नाम श्री देलचंद नेमचंद हतुं ने मातानुं नाम मेघबाई हतुं. आवां आबरुदार, राजमान्य ने गर्भश्रीमंत मातापिताने घेर सं. १९१३ ना चैत्र सुद बीज ने सोमवारे चोथा पुत्र तरीके कल्याणचंदनो जन्म थयो. ___कल्याणचंदनो अभ्यास भावनगरमां थयो. वि. सं. १९२७ना जेठ वद पांचमना दिवसे पितानो स्वर्गवास थयो. पोताना भाईना प्रेर्या कल्याणचंदनो प्रेम धर्मपर दृढ थवा लाग्यो. तेटलामां पोताना भाई भाभीओना दुःखद स्वर्गवासे तेमां वधारो को अने तेमनो आत्मा वैराग्य तरफ ढल्यो. एवामां शा-तमूर्ति श्री वृद्धि चंदजी महराजनो समागम थयो ने वैराग्य दृढ थयो. आखरे अमदावाद पासेना गामडामां वि. सं. १९३६ना वैशाख वद ८ ना दिवसे तेओए दीक्षा ग्रहण करी. तेमनुं नाम कमलविजयजी राखबामां आव्युं अने तपगच्छाधिपति मूलचंदजी महाराजना शिष्य तरीके जाहेर थया. वडी दीक्षा अमदावादमा सं. १९३७ना कार्तिक वदी १२ना दिवसे थई. ___ मुनिजीए पोताना समर्थ गुरुवर्य पासे रही शास्त्रोनो अभ्यास शरु को. आ पछी तेओए एक या बीजा साधुओ पासे व्याकरण, न्याय, काव्य, कोषादिनो अभ्यास करवा मांड्यो. सूत्रसिद्धान्तना जाणकार श्री झवेरसागरजी पासे आगमो पण भणी लीधां. वि. सं. १९४५मां श्री मूलचंदजी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,
SR No.003643
Book TitleTapagaccha Shraman Vansh Vruksh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantilal Chottalal Shah
PublisherJayantilal Chottalal Shah
Publication Year
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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