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________________ ५६ आनंदविमलरिक ५७ विजयदानसरिक ऋद्धिविमल (जुओ पानु २१) ५८ सम्राट अकबर प्रतिबोधक जगद् गुरु श्रीहीरविजयसूरिक राजविजयसूरिक (रत्न शास्त्रा) ५९ विजयसेन सरिक उ. कीर्तिविजय गणी उ. कल्याण उ. कनक विजयगणी विजयणी उ. सहज सागर तिलक विजय ऋदि विजय उ. विनयविजय पं. लाभविजय शीलविजय उ. जयसागर ६. विजयदेव विजय गणी गणीक सूरि तिलकसरिक । देसूरव) (आनंदसूर) पं.नयविजय पं. नयविजय सिद्धिविजय उ. न्याय संघ। संघ सागर चारित्र विजय गणी जितक 4. उत्तम विजय (यतिशाखा) उ. यशो विजयजी महाराज कृपाक विजय ६१ विजय विनयप्रभ सिह सक सूरे (यति शाखा) ६२ सत्यविजय गणीक सागर विजय उ. मेघ मान पं. गुण विजय तिज विजय विजय सागर ६३ कपुरविजय कुशलविजय गणी गणीक मयगल सागरक यशवंत विजय ६४ क्षमाविजय गणी पद्मसागर कुशलविजय ६५ जिनविजय गणी स्वरूपसागर पं.जित विजय नाणसागर श्रीविजय जयविजय ६८ मयासागर (जुओ पानु २०) पं. हर्षविजय चंद्रविजय पं. हेतविजय गुमानविजय (जुओ पार्नु ८) पं विनयविजय पं. हिंमतविजय कमलविजय 3555555555555555 55555 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003643
Book TitleTapagaccha Shraman Vansh Vruksh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantilal Chottalal Shah
PublisherJayantilal Chottalal Shah
Publication Year
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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