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पृष्ठ १७
पदवी - पं० गंभीरविजय, उपाध्याय पं० लक्षणविजय, उपाध्याय; मुनि मुवनविजय, प्रर्तवक
पृष्ठ १८
पदवी - उ० रामविजय, आचार्य ( विजयरामचंद्रसूरिजी ) पं० जंबुविजय, उपाध्याय
नव दीक्षित - अरुणविजय ( विजयरामचंद्रसूरिजीना स० मां मुनि जसविजयजीना शिष्य ) कुशलविजय ( विजयरामचंद्रसूरिजीना स० मां मुनि सौभाग्यविजयना शिष्य ) मानतुंगविजय ( विजयरामचंद्रसूरिजीना शिष्य )
पृष्ठ १९
नवदीक्षित - मनकविजय ( आ० भद्रसूरिजीना स० मां मुनि रमणिकविजयजीना शिष्य ) हसमुखविजय ( आ० भद्रसूरिजिना स० मां मुनिचरणविजयजीना शिष्य ) दुर्लभ विजय (आ सिध्विसूरिजीना स० मां मुनि कल्याणविजयजीना शिष्य )
पृष्ट २०
पदवी - उ० माणिक्यसागर आचार्य, पं० मतिसागर आचार्य काळधर्म - ७३ महोदयसागर
पृष्ट २२
पदवी - पं० क्षान्तिमुनि, आचार्य; मुनि सीद्धिमुनि, उपाध्याय; मुनि कीर्तिमुनि, पंन्यास नव दीक्षित - जयंतमुनि, महेन्द्रमुनि, सुंदरमुनि ( पं० हीरमुनिजीना शिष्या ) सुमतिमुनि ( पं० कीर्तिमुनिजीना शिष्य )
वर्तमान श्रमण संस्थाना आंकडाओ ४ काळधर्म पामेला, १ रही गयेला, १९ नव दीक्षित वंश-वृक्ष विभागना प्रथम पृष्ट उपर संवत १९९२ना कारतक शुद्ध संख्या ६६४ मुकी छे. त्यार पछी थएल फेरफार उपर मुजब करता सं. कुल संख्या ६८० नी छे.
श्री तपगच्छना ६८०, श्री खरतरगच्छना ५३,
श्री पायच नगच्छना १४, श्री अंचलगच्छना ११ (६. चंद्रशाळा ५ सागरशाळा ),
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कुल संख्या ७५८ छे.
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१५ सुधीनी विद्यमान श्रमणोनी १९९२ना असाढ शुद्ध १५ सुधीनी
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