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पिसवाते है । तब फिर धनवान, श्रीमंतपुरुषों की तो बात ही क्या ? परन्तुधर्म तो अमीर और गरीब सब के लिये समान है । शास्त्र में घंटी के ऊपर जीवदया के लिये चंद्रवा न होने से अनेकानेक दोष बताये हैं । [ जीव दया के कारण ] आज के पच्चीस पचास वर्ष पूर्वे अमीर के घरवाली स्त्रीयां भी हाथ से पीसते और पानी लाते थे । तथा दूसरा कार्य भी खुद ही करते थे । यह भी जीव दया के कारण करोंगे तो इस में आपकी कोई लघुता नहीं हैं । यदि चतुर महिलाओं का इस बात पर ध्यान रहे तो वो अच्छा उपयोग रख के अनेक जीवों को जीवित दान देने का उत्तम फल प्राप्त करें, और क्रमानुसार सुख संपदा भी प्राप्त करें । इससे जयणापूर्वक करना यही उत्तम है |
[ आज कल की कितनीक लडकीयां भोजन बनाने में भी अप्रसन्न हैं । तो फिर हाथ से पीसना, खांडना और जयणा आदि की आशा उनसे किस प्रकारों की जावे ? वे आजकल की शिक्षण पुस्तकें पढ़ना और लिखना सीखती हैं, परन्तु जीवनोपयोगी योग्य शिक्षा, धार्मिक जीवन, यतना, जात महिनत आदि योग्य तच्चों से वंचित रहती हैं । और आर्य संस्कार तथा धर्म से विमुख बनती हैं । अग्नि के अन्दर से जिस भांति पानी की आशा रखनी व्यर्थ है, उसी भांति आज के जमाने के शिक्षण से यतना और कालजीपूर्वक जातमहेनत
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