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________________ लेना (जो नरम बिलकुल न रहे ) तो वो बासी नहीं गिने जाते हैं। ___ रात को बनाई हुई रसोई भी खाना योग्य नहीं है। प्रातःकाल सूर्य निकलने के पश्चात् सूक्ष्म अन्न देखने में आ जाय ऐसा उजाला होने पर और रात को सूर्य अस्त के पहिले भोजनादिक से निवृत्त हो जाना वो दयालु श्रावक का आचार है। प्रकरण २ रा चलित रसका स्पष्टीकरण. चलित रस किसे कहलाया जाता हैं ? "जो वस्तु जिस जातिकी उत्पन्न हुई, उत्पन्न कीगई, अथवा जिस २ स्वरूप में योग्यरीति से खाने के उपयोग में आ सकती है, वह यथास्थित रसवाली गिनी जाती है। . जिस वस्तु में यथास्थित रस उत्पन्न न हुआ हो, अथवा यथास्थित रस उत्पन्न होने के पश्चात् उसमें फेरफार होगया हो, और वह खाने के लायक न हो, वह वस्तु चलित रस कहलाती है। किसी चीज में मूक्ष्म फेरफार समय २ पर हुआ करता है, परन्तु अमुक प्रमाण में फेरफार हो कि, जिस फेरफार से उस वस्तु को उपयोग करने लायक न गिनीजावे, उसे चलित रस कहते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003639
Book TitleAbhakshya Anantkay Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPranlal Mangalji
PublisherJain Shreyaskar Mandal Mahesana
Publication Year1942
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size8 MB
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