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इसका सबब यह है कि उनके फायदे या दोष का हमें मालूम न रहा हो, और वे फल जहरीले हो तो उसें आत्मघात होता है । इस लिये वो त्याज्य है । वंकचुल राजकुमार को महान परोपकारी गुरुमहाराजने अपरिचित फल न खाने की प्रतिज्ञा करवाई थी । अत्यन्त भूख लगने पर भी उसने अपनी प्रतिज्ञा का दृढता पूर्वक पालन किया, जीसे उनके प्राण बचे । एवं उनके साथ दूसरे चोर अपरिचित फल खाने से मर गये ।
हे भव्यात्माओं ! ऐसे परम कृपालु एवं निःस्वार्थी तीर्थकर महाराज तथा गुरुमहाराजका अपार दुक्ख से शीघ्र मुक्त करवाने का सदुपदेश अपने पूर्वपुण्य के उदयसे ही प्राप्त हुआ है । वह फिर से प्राप्त होना दुर्लभ है । पुण्यरूपी लक्ष्मी का व्याज खर्च कर यदि मूल धन का भी खर्च कर दोगे, तो अगले जन्म में सुख और सम्पदाएँ कैसे मिलेगी ? इस हेतुसे शांत एवं गंभीर प्रकृति वाले अनंत गुणों के धारक उस परमात्मा की उस उत्तम शिक्षा को ग्रहण करो । और तदनुसार आचरण करके ऐसी शक्ति पैदा करो कि जिसे स्वयं के गले में मोक्षरूपी माला सुशोभित हो जाय ।
२० तुच्छ फल :- एसे पदार्थकि - जिसमें कुच्छभी तत्त्व न हो । बहुत आरंभ करने पर भी तृप्ति न हो। जिसमें खाना थोडा और फेंफना अधिक हो । उदाहरणार्थ-चणीबोर, पीलु अथवा पीचु, गंदी, म्होर आदि तुच्छ फल हैं । तथा मूंग, चवले,
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