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[ इस तरह बनाई हुई कढी भी श्रीखंड के साथ नही खा सकते है । क्योंकि श्रीखंड में कच्चा दहीं होता है, वास्ते दोनो का स्पर्श होनेसे द्विदल होते है । अलावा श्रीखंड की रसोई में कढ़ी चने के आटे की नहीं बनाना चाहिये. अगर बनाना हो तो बाजरी के आटे की बना लेना चाहिए ]
दहींasi - दहीवडी वगैरा कच्चे गोरस में मिलायें हो, तो अभक्ष्य जानना चाहिये. परन्तु पक्के दूध या दही में बनाये हो, तो उस रोज़ ही काम म आ सकते है.
राईताः - गरम दहीं करके बनाना चाहिये, अगर कभी दुसरी बिल की चीजें इसके साथ खानेका प्रसंग आवे, तो कोई हरकत नहीं.
फूलका - - यानी रोटी के साथ कच्चा गोरस खाना हो, तो द्विदल वाली वस्तुओंका स्पर्श नहीं होने देना चाहिये.
और द्विदल वाली चीजें खाना हो, तो कच्चे गोरस का स्पर्श नहीं होने देना चाहिये.
कितनेक लोक गरम करनेका अर्थ - " सिर्फ जरासा गरम हुवा" की गरम मान लेते है. परन्तु यह ठीक नहीं. क्योंकी दिल का दोष लगता है. इसका सवव यह समजतें है कि छाछ एवं - दहीं गरम करने से फट जाता है। जिसे मामुली गरम करतें है, परन्तु उसमे निमक या बाजरी का आटा डालके हिलाकर
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