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________________ ३२ है. इस तरहसे अचित्त किया हुवा निमक चार पांच वर्ष तक सचित्त नहीं होता. श्रावक खुद के घर एक सैर निमक खांडकर या पीसाकर लगभग दो सैर पानी में मिलावे, फिर एक रस होने के बाद छानकर चुले पर रखकर जैसे शक्करका बुरा बनाया जाता है, वैसेही शेक डालना चाहिये । इस तरीके पर बनाया हुवा निमक बराबर अचित्त होता है. परन्तु पानी के संयोग से किया हुवा रस दो चार माह के बाद सचित होने का संभव है। भट्ठी में पका हुवा बलमण का काल अधिक होना संभावित है । कारण-भट्ठी में शिका हुवा निमक स्वयं गलकर पानी होकर ढेपा बंध जाता है । कोई२ जगह पर लोहे के *तवे वगैरा में शेकते हैं. परन्तु जब तक लाल रंग न हो जमाने से चला आता है. वहां पर दांतन का चीर व अचित निमक कॉमत से बिकता हुवा मिलता है. जिसको अहमदाबाद के कितनेक श्रावक मंगवाते है. तथा अचित खारा हलवाई की पेढ़ी में मिलता है. * काठीयावाड़ में कितनेक आयंबील एकासमा प्रमुख में अचित्त निमक वापरने के लिये तवेया कटोरी में सचित्त निमक डालकर चुले पर थोड़ी देर शेक कर उपयोग करते है । उनको अवश्य समझना चाहिये कि निमक को योनी इतनी सूक्ष्म है की जिसके बदले शास्त्रकारोंने भी भगवती सूत्र के १९ में शतक के तीसरे उद्देश मे फरमान किया है कि- चक्रवर्ती की दासी वज्रमय शीला के उपर ब्रज के बत्ते से इक्कोसबार घी तो भी निमक का जीवको बिलकुल असर नहीं होती. वास्ते अग्नि रूपी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003639
Book TitleAbhakshya Anantkay Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPranlal Mangalji
PublisherJain Shreyaskar Mandal Mahesana
Publication Year1942
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size8 MB
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