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'साधनो से बनता है। वो दोनो प्रकार का अभक्ष्य है. सबब उस में पानी के असंख्य जीव है, बहुत आरंभ करने का तिर्थंकर परमात्माने निषेध किया है. आईसक्रीम, आईसवॉटर, ( बरफ का पानी ) आईससोड़ा, कुलफी, प्रमुख बरफ की चीजों का अवश्य त्याग करना चाहिए. [ आईसक्रीम बनाने में बरफ तथा कच्चा पानी और निमक काम में लिया जाता है. जिससे छोटे एकेन्द्रिय, दोइन्द्रिय, तेन्द्रिय, चौरिन्द्रिय चलने फिरने वाले जीवों का नाश होता है. ] मशीनो के अन्दर में रहा हुवा दुध आदि का रस साफ करने में न आवे, तो दोइन्द्रिय वगैरह जीवो का उत्पन्न होने का प्रसंग आता है, परन्तु वो जीव बहुत छोटे होने से ( दृष्टि ) नजर में न आते, और दुसरी दफा नया दूध गिरने से फोरन बिचारे का विनाश हो जाते है. इस तरह त्रस जीवों की हिंसा होने का संभव होता है. ऐसी बात का विचारकर जिह्वा इन्द्रिय में लग जाने से अपने में कितनेक अहिंसामय धर्म को मानने वाले आगेवान जैसे जैन बन्धुओं भी त्याग नही करते. अनेक जीवो का प्राण लेने का कारण हो जाता है, जैसे आगे उनके पूज्य बड़े सचित्त त्यागी और गंठसी - वेढ़सी प्रमुख कठिन नियमो को पालन करने में मजबूत रहते थे. परन्तु इस काल में कई बंधु चलते हॉटल - विश्रांतिग्रह (विश्रांति नहीं परन्तु खास विनाशकारीग्रह) आदि में ( भक्ष्याभक्ष्य ) याने खानेपीने में और
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