SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 19
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १० प्रायः टिंक्चर- स्प्रिटे (दारू) आता हैं । फिर कितने ही पाउडर (भूका - चूर्ण) वाली दवायों में भी अभक्ष्य वस्तु का मिश्रण होता है । जिससे विलायती दवा का त्याग करना श्रेष्ठ है । 1 १ - १ द्राक्षासव, २ कुमार्यासव, ३ लोहासव ये देशी दवाइयें भी एसी हैं । क्योंकि द्राक्ष और कुंवार का सड़ा हि हैं । उसी सड़े पदार्थ का नाम आसव है । [ जमीन में कुछ दिन तक गड़ी रहती है तब उसमें शराब के तत्त्व और जन्तु उत्पन्न हो जाते है ] शरबत में भी अभक्ष्य के कारणों की संभावना है । अनेक तरह के वाइन (शराब) पीनेवाले हरेक व्यसनी का बुरा हाल जगजाहिर और आंखों के सामने ही है । किसी तरह की शराब हितकर है ही ज नहीं । गांजा, लीलागर, भांग, चड़स भी व्यागने । चाहिए | शराब - अर्थात् अनेक वस्तु का सडन करते हुए उसमें अनेक त्रस जीव ऊपजते है । उन सब के सहित मशीन से उस सडन का रस निचोड़ लेना वह । उस में भी एक तरह का स्प्रिंट ही होता है । २ - विलायती दवाओं में अभक्ष्य पदार्थ होते हैं उस का खुलासा १ कॉडलिवर पिल्स- दरयाई मछली के कलेजे के तेल की गोली । २ स्कॉट इमलशन बॉवरील बैल और भैंसा के खास भाग का मांस | ३ विरोल - गाय के मगज का मांस रस । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003639
Book TitleAbhakshya Anantkay Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPranlal Mangalji
PublisherJain Shreyaskar Mandal Mahesana
Publication Year1942
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy