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________________ १६३ २ सात छनने रखने चाहिये । १ पानी छाननेका, २ घी छाननेका, ३ तेल छाननेका, ४ दूध छाननेका, ५ छाछ छाननेका, ६ अचित्त उष्ण जल छाननेका, आटादिक छाननेकी छननीयाँ | इस तरह ७ छनने जरूर रखने चाहिये, जिससे चींटी, कंसारी, मच्छर, मक्खी आदि त्रस जीव छानने से अलग हो जातें हैं । पानी और आटा छाननेसे त्रस जीवकी रक्षा होती है । पानी छाननेका कपड़ा घट्ट और मज़बूत होना चाहिये । इस रीति से जीवरक्षा करने वाले भव्य प्राणियों को उसका प्रत्यक्ष लाभ मिलता है । जल तो प्रत्येक प्रहर में छानना चाहिये। इस विषय में महाराजा कुमारपालका सुचरित्र वारवार मनन करने योग्य और यथाशक्ति अमल में लाने योग्य है । ऐसे आत्मार्थी परमार्थी पुरुषोंकी बलिहारी है ! वे ही धन्यवाद के पात्र हैं, वेही पुण्यवंत और महंत हैं, वेही महान् सुखी हैं, तथा वेही महान भाग्यशाली हैं कि जिनके हृदय - पट पर दया -- यतना का चित्र चित्रित है । जैन शासनकी सदा जय हो । ३ कैसे वर्तन काममें लाने चाहिये ? 46 ra कैसे पात्रमें तथा किस प्रकार भोजन करना ठीक हैं ? उसे संक्षेप में कहते हैं " - जो दोष रात्रि भोजनमें हैं वैसेही दोष अंधकारयुक्त स्थानमें खानेपीनेसे और सकडे मुखवाले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003639
Book TitleAbhakshya Anantkay Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPranlal Mangalji
PublisherJain Shreyaskar Mandal Mahesana
Publication Year1942
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size8 MB
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