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प्रकरण १ पहला बाइस अभक्ष्यों पर मुक्तसर विवेचन
५ पञ्चोदुम्बर १ वड़ के फल। २ पारसपीपला और पीपल के फल । ३ प्लक्ष जात के पीपले के फल । ४ ऊंबर (गूलर) के फल। ५ कचुंबर (कालुम्बर) के फल ।
इन पांच ही वृक्षों के फल में अनेक सूक्ष्म त्रसजीव उडते हुएदेखने में आते हैं, जिनकी गिनती नहीं हो सकती है। इस लिए [उसी तरह उस में छोटे २ बारीक बीज भी बहुत होते हैं] वे सभी अभक्ष्य हैं । इस लिए उनका त्याग करना । दुष्काल इत्यादि के प्रसंग से अन्न न मिलता हो तो भी विवेकी ज्ञानी पुरुष ये खाते ही नाहीं। [बीज के अनेक वनस्पति जीवोंकी, और उस में पडे हुए अन्य त्रस जीवोंकी, इस प्रकार से दो तरह के जीवों की विराधना होती है। पीपली के फल को भी इसी प्रकार में समझना।]
१ फल में जितने बीज उतने ही वनस्पपि के जीव जानने । उन सबकी थोड़े से स्वाद के लिये हिंसा करनी उचित नहींहै !
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