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आस्ते आस्ते बंध हो के, डिबेमें पेक कीया गया दूध लेनेका मोका उपस्थित होने की तैयारीयां हो रही है । क्यों की परदेशी मुडीवादों से डेरी - कंपनीआं खडी होने की शुरुआत बडे पायेपर हो रही है। शेठ शांतिदास आशाकरण जैसे बडे बडे लोक प्रजाको अच्छा घी या दूध केसे मिले ? उनके लिये जो प्रचार कार्य कर रहे है, वह प्रचारका मुख्य ध्येय डेरीकंपनीयां की जाहिरात और विकासमें फायदा कारक है । वास्तवमें- अपनेको कुच्छ फायदे मिलनेवाला नहीं है ।
५ से २१ तक, सोडा, लेमन, जीन्जर, रोझबरी, पीक मी अप, बील्कास, एल टोनिक, कोल्डड्रीन्क, कोल्डक्रीम. जीन्जर, एल लाइम, लीथीओ, अमरीक चेरी सीडर, चेम्पेइन सीडर, क्वीनाइन टोनीक, क्रीम सोडा वगैरह कीतनीक जात शिसामें पेक की हुई आती है। वो सब वापरने योग्य नहि है । क्यों की बोटलों मुसलमान, पारसी और इतर लोगोंने मुंह में डाला हुआ होता है वो ही बोटलें अपने लोग मुखपें रखो । इसे स्पष्ट धर्मभ्रष्टता होती है। फीर भी जीवाकुल और बीगर छाना हुआ पानी उसमें वापरने में आता है । और बहुत दिन के वासी एवं उतरती जातिवालोंसें बनाया हुआ होता है । इस तरह बहुत दोषयुक्त ऐसी चीजें अभक्ष्य है । वास्ते अवश्य त्याग करना । आरोग्य दृष्टि से भी हानिकारक है ।
higher education हायर एज्युकेशन प्राप्त कर के सुधारक की गीनती में आते हुए जैन युवकों अब हृदयमें
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