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- अभक्ष्य और अनंतकाय अन्य के घर अचित्त हुआ हो तो भी निःशूकता, रसलोलुपता, प्रसंगदोष इत्यादि कारणों से वर्जना । सुकी मुंठ और हलदी नामभेद तथा स्वादभेद से अभक्ष्य नहीं है।
इन अभक्ष्यो में अफीम, भंग आदिका जिसको व्यसन लगा हुआ हो तो व्रत-सोगन-पच्चक्खान करते समय उसके तोलमाप से जयणा करे । और रात्रि भोजन में चउविहार, तिविहार, दुविहार एक मासमें इतना करना, एसा नियम करे ।
रोग आदिके कारण यदि कोई औषधि में अभक्ष्य खाना पडे, उसका नाम, समय तथा वजनसे यतना रखनी पडती है। देखो, बत्तीस अनंतकाय का सर्वथा निषेध है। तो भी यदि रोग आदि कारणों से लेना पडे तो उसकी जयणा रखे तो रोग आदिके कारण औषधि में लेना पडे या अजानपनेसे कोई वस्तु मिश्र हुई खाने में भी आये, तो व्रत भंग नहीं होता। आगे बीमारी में भी नहीं लेना एसा लिखा है, यह सिर्फ उत्कृष्ट नियमवालों के लिये है। जिससे नियम जिस तरह पालन हो, वो यथाशक्ति उसी तरह करना उचित है।
" श्रावक को अन्य धर्मावलाम्बियों ( अन्य मतवालों) के घर बरात में जीमने जाने के समय अधिक ध्यान रखना चाहिये, कारण-वहाँ बावीस अभक्ष्य और बत्तीस अनंत कायमें से कितनेक दोष अवश्य लगनेका संभव है। इससे बने वहां
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