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१०५ चटनी आदिमें लसनका स्पर्श तथा अदरक आदि अभक्ष्य चीजे डालते है। तथा ये चीजे बासी भी रहती हैं । इससे दुगुने दोषवाली होजाती है। इसमें त्रसजीव उत्पन्न होते हैं। इत्यादि कारणों से पापसे बचनेवाला आत्माको यह खाते समय ख्याल रखना चाहिये ।
काँदे आदिके भुजिये जो तेल में तले जाते है और उसी तेल में यदि अन्य भक्ष्य जातिके भुजिये तले गये, तो वो भी अपने उपयोग में नहीं लेना । दालमें कितनेक व्यक्ती सूरण, अदरक,आदि डालते है । उसमें भी ईंगली,कांदे आदि अभक्ष्य वस्तुएँ डाली होय तो उनको, तथा चटनी, दाल, कढ़ी आदिमें कोई स्थान पर कोमल इमली डालनेमें आती है, उसका मिश्रण तथा स्पर्शादि का अवश्य ध्यान रखना चाहिये । अथवा भेळसंभेळ आदि की जानकारी बिना,
और दाक्षिण्यता का आगार रखना । आगार का अर्थ यह नहीं है कि "जानते हुए मी आँख के आडी कान करके यह दोष सेवन करना ।"
४ मेथी की भाजी में अनंतकाय थेग तथा लुणीकी भाजीकी डालियां आ जाती है। इससे उनको अलग कर देना। और यदि बिना जाने आ जाय तो उसका ध्यान रखना। मेथी की भाजी के नीचे के दो पत्ते अनन्तकाय है, इससे उनको पहले से ही निकाल देना चाहिये।
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