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________________ [३४] चैत्यवन्दन असित श्रावण अष्टमी दिन, जन्म श्री नमि जिनवरं, पास जिनवर मोक्ष वरीया, श्रावण सित अष्टमी वरं...५ कृष्ण अष्टमी भाद्रवानी, च्यवन सप्तम जिनवरं, अष्टमी दिन रवी प्रणमे, कल्याणक श्री जिनवरं ... ६ नवमी (नौम) नुं चत्यवन्दन जीवंतस्वामी मुनिसुव्रत जिन, भरूचपुरे भविलोक नमो, असित जेष्ठ नवमी दिन थुणिओ, पारंगत परमेश नमो. १ सुविधि जिन शिवरमणी वरिया, भाद्रव नवमी शुक्ल नमो, चैत्र शुदि नवमी दिन वरिया, सुमति जिन शिवनारी नमो. २ केवल श्री वरिया जिन शांति, पोष तणी सित नवमी नमो, सुमति अजितनी दीक्षा नवमी, वैशाख माघ शुदी प्रणमो. ३ असित पक्षे श्रावण फाल्गुन, कुन्थु सुविधि च्यवन नमो, वासुपूज्य जिन च्यवन कल्याण, नवमी जेठ शुद्धि प्रणमो. ४ आषाढ़ नवमी असित पक्षे, चरण लीयो नमिनाथ नमो, नवमी दिन जिननां कल्याणक, अकेंदु उवज्झाय नमो. ५ दशमी नुं चैत्यवन्दन अष्टादश अरनाथ सुजाण, मार्गशीर्ष शुदि दशमी जाण, वैशाख वदि दशमी कर सेव, नमिनाथ अकवीशमा देव. १ सहस मुनिवर साथे जाण, समेतशिखर पाम्या निर्वाण, पार्श्व प्रभुनो जन्म कल्याण, पोष वदि दशमी दिन जाण. २ महावीर दिक्षा दिन जाण, मागशर वदि दशमी मन आण, अरनाथ जिन जन्मकल्याण, मागशर शुदि दशमी गुणखाण. ३ वैशाख शुदि दशमी जगभाण, महावीर लही पंचम नाण, वर्तमान चोवीशी जाण, रवी नमे दशमी कल्याण ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003634
Book TitleChaityavandan Parvamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAbhinav Shrut Prakashan
Publication Year
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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