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चैत्यवन्दन
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नेम कहे केशव सुणो, वरस दिवसमा जोय, मागशर शुदि अकादशी, ओ समो अवर न कोय... ६... इण दिन कल्याणक थयां, नेवुं जिनना सार, अह तिथि आराधतो, सुव्रत थयो भव पार... ७... ते कारण मोटी तिथि, आराधो मन शुद्ध, अहो रात्रि पोषध करो, मन धरी आतम बुद्ध... ८... दोसो कल्याणक तणु, गणणु गणो मन रंग, मौन धरी आराधीये, जिम पामो सुख संग... ६... उजमणं पण कीजीये, चित्त धरी उल्लास, पाठा ने वीटांगणा, इत्यादि करो खाश... १०... ओम अकादशी भावशु, आराधे नरराय, क्षायिक समकितनो धणी, जिन वंदी घेर जाय... ११... अकादशी भवियण करो, उज्ज्वल गुण जिम थाय, क्षमाविजय जिन ध्यानथी, शुभ सुरपति गुण गाय... १२... [२] शासन नायक जग जयो, वर्धमान जग इश, आतम हित ने कारणे, प्रणम् परम मुनीश ...१... षट् परवी जेणे वर्णवी, तेहमां अधिकी जेह, अकादशी सम को नहीं, आरांधो गुण गेह...२... मागशर शूदि अकादशी, आराधो शिव वास, कल्याणक नेवु जिन तणां, ओक सो ने पचास...३... महायश सर्वानुभूति, श्रीधर नमि मल्लि अरनाथ, स्वयंप्रभ देवश्रुत उदय, मलिया शिवपुर साथ... ४...
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