SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 92
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [55] चैत्यवंदन संग्रह ३... तीन लाख श्राविका वली, अधिक सहस अढार, सुर मातंग सिद्धायिका, नित सानिध्य कार... ५... ओकाकी पावापुरीओ, छट्ठ भक्त सुजाण, प्रभु पहोता अमृतपदे, करो संघ कल्याण... ६... श्री महावीर स्वामीना पंच कल्याणकनुं चैत्यवंदन ( ६ ) सिद्धारथ सुत वंदीओ, त्रिशला देवी माय, क्षत्रियकुंडमां अवतर्या, प्रभुजी परम दयाल... १... उज्वली छठ अषाढनी, उत्तरा फाल्गुनी सार, पुष्पोत्तर विमानथी, चवीआ श्री जिनभाण...२... लक्षण अडहिय सहसओ, कंचनवर्णी काय, मृगपति लंछन पाउले, वीर जिनेश्वर राय ... चैत्र शुदि तेरश दिने, जनमिया श्री जिनराय, सुर नर मळी सेवा करे, प्रभुनुं जन्म कल्याण... ४... मागशर वदि दशमी दिने, लीओ प्रभु संजम भार, चउनाणी जिनजी थयां, करवा जग उपकार... ५... साडाबार वरस लगे, सह्यां परिषह घोर, घनघाती च कर्म जे, वज्र कर्यां चकचूर... ६... वैशाख शुदि दशमी दिने, ध्यान शुक्ल मन ध्याय, शमीवृक्ष तळे प्रभु, पाम्या पंचम नाण... ७... संघ चतुर्विध स्थापवा, देशना दीये महावीर, गौतम आदि गणधरु, कर्या वजीर हजूर... ८... कार्तिक अमावस्या दिने, श्री वीर लह्या निर्वाण, प्रभाते इंद्रभूतिने, आप्यु केवलनाण... ६... For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003633
Book TitleChaityavandan Sangraha Tirth Jin vishesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAbhinav Shrut Prakashan
Publication Year
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy