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तीर्ण-जिन विशेष
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हठ हेलित कर्म कृतांत बलं,
बलधाम धुरंधर पंक जलं...४... जलजध्वय पत्र प्रभानयनं, नयनंदित भव्य नरेश मनं, मन मन्मथ महीरूह वह्निसमं,
समतामय रत्नकरं परमं...५... परमार्थ विचार सदा कुशलं,
कुशलं कुरु मे जिननाथ अले, ___ अलिनी नलिनी नलिनील तनु,
तनुता प्रभु पार्वजिनं सुधनं...६... धन धान्य करं करुणा परमं,
परमामत सिद्धि महासुखदं, सुखदायक नायक संत भवं,
भवभत् प्रभु पार्श्वजिनं शिवदं...७...
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श्री पार्श्वनाथ नमस्तुभ्यं, विघ्न विध्वंस कारिणे, निर्मलं सप्रभानन्दे, परमानन्द दायिने.१ अश्वसेना- वनि पालो, कुल चुडामणि प्रभो, वामा सुनो नमस्तुभ्यं, श्रीमत् पार्श्व जिनेश्वर.२ क्षिति मंडल मुकुटं धार्मिक निकटं, विश्व प्रकटं चारु भटं, भवरेणु समीरं जलनिधि तीरं, सुरगिरिधीरं गंभीरं, जगत्त्रय शरणं दुरगति हरणं, दुर्धर चरणं सुखकरणं, पार्श्व जिनेन्द्र नत नागेन्द्रम्, नमत सुरेन्द्र कितभद्रं.३
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