________________
चैत्यवंदन संग्रह भणतां सवि सुख संपजे, सुणतां मंगलमाल, हीरविजय वाचक भणे, तस घर जय-जयकार...२०... N. B. आ चैत्यवंदन नवु लागे छे केमके हीरविजयनु नाम छे पण
प्रास मलतां नथी, केइक रचना असंबद्ध लागे छ भगवंत साथे ५३६ मोक्षे गया छे । आमां सहस छे ।
बावीशमां श्री नेमिनाथ, नित्य उठी बंदो, समुद्रविजय सुत भानु सम, भविजन सुख कंदो...१... सघन श्याम द्युति देहनी, दश धनुष शरीर, अमित कांति यादव घणी, भांजे भव दव तीर...२... राजीमती रमणी तजोओ, ब्रह्मचर्य धर धोर, अविचल सुखमां विलसता, भूप नमे धरी शीर...३...
ॐ नमो विश्वनाथाय, जन्मतो ब्रह्मचारिणे, कर्मवल्ली वनच्छेद, नेमयेऽरिष्ट नेमये...१. अनंत परमानंद, पूर्णधाम व्यवस्थितः, भवंतं भवता साक्षी, पश्यतीह जिनोऽखिल...२... स्तुवंतस्तावकं बिंब, मन्यथा कथमीद्दशं, प्रमोदातिशयश्चित्ते, जायते भुवनातिगं...३...
समुद्रविजय शिवा तणो, अंगज धन सरीखो, जदुकुल अंबर दिनमणी, राजुल वर नोरखो...१... वरस अक सहस आय मान, दश धनुष अपरखो, शौरिपुरी शंख लंछने, नेमि नमी मन हरखो...२...
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org