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तीर्थ-जिन विशेष
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भुजंगस्वामी जिन चौदमा, वंदं उलट आण, श्री इश्वर जिन पंदरमा, नमीओ नित्य सुविहाण...६... नेमिप्रभ जिन सोळमा, सुखदायक जेह, सत्तरमा श्री वीरसेन, वंदु धरी नेह...७... महाभद्र अढारमा, देवजशा ओगणीश, अजितवीर्य जिन वीशमा, ज्ञानविमल नमे इश...८...
सोमंधर युगमंधर प्रभु, बाहु सुबाहु चार, जंबुद्विपना विदेहमां, विचरे जगदाधार...१... सुजात साहेबने स्वयंप्रभु, ऋषभानन गुणमाल, अनंतवीर्य ने सुरप्रभु, दशमा देव विशाल...२... वज्रधर चंद्रानन नम, धातकी खंड मोझार, अष्ट कर्म निवारवा, वंदु वार हजार...३... चंद्रबाहु भुजंगप्रभु, नेमि इश्वर सेन, महाभद्र ने देवजशा, अजितवीर्य नामेण...४... आठे पुष्कर अर्धमां, अष्टमी गति दातार, विजय अड नव चोवीशमी, पणवीशमी किरतार...५... जगनायक जगदीश्वरु अ, जगबंधव हितकार, विहरमानने वंदतां, जीव लहे भवपार...६...
[४] सीमंधर युगमंधरा, जयवंता जिनराज, बाहु सुबाहु वंदता, सारे वांछित काज...१... जंबूद्विपे विचरतां, उपकारी अरिहंत, धन ते नर वाणी सुणे, त्रिगडामां धरी खंत...२...
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