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चैत्यवंदन संग्रह
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उदय पेढाल जिनांतरे, वासो सिद्ध स्वरूप, अधम उद्धारण तारजो, देजो ज्ञान अनूप...५
(१४) शिवसुख दाता सुहंकरूं, सीमंधर जिनराज, विचरे पूर्व विदेहमां, पुखलावतीये आज...१ वीस लाख पूरव लगे, कुंवरपणे श्रीकार, त्रेसठ लाख पूरव वळी, पाली राज उदार...२ त्रयासी लाख पूरव पछे, लीधो संजम भार, तप तपी केवल पामीया, चरण करण चित्तधार...३ झलहल भानु उगीयो, महामाहण महागोप, निर्यामक सथवाह तुं, अशुभ कर्म कर लोप...४ उदय पेढाल जिन अंतरे, पामशे प्रभु निरवाण, कत्तिचंद्र कहे दीजिये, निर्मल दरिशण नाण...५
(१५) जयश्रिया मोहरिपोरवाप्त,
त्रिलोक साम्राज्य रमाभिरामम्, विदेह भू-मंडल मंडनं श्री,
सीमंधरस्वामिनमानमामि...१... स्तवीमि सीमंधरा पक्षिणोऽपि,
पश्यन्तिये पक्षबलादिमं त्वाम्, अहं तु पापस्तव दर्शनार्थ
मनोरथैरेव सदा कदh...२... मनोरथारप्यथवा भवन्तु,
सदा भवद् दर्शन गोचरा मे,
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