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तोर्थ-जिन विशेष
[२१] तिर्छा लोके देहरां, बत्रीशसें जोय,
ओगणसाठ उपर कह्या, समकिती माने सोय...६ तीर्छा लोके हरखे नमुं, त्रण लख जिनबिंब सार, अकाणुं हजार वलो, त्रणसें वीश मन धार...७ त्रण भुवनमां देहरां, आठ क्रोड छप्पन लाख, सत्ताणुं हजारने, बत्तीशसय ब्यासी लाख...८ त्रिभुवनमांहे जिन नम, पंदरसे बैंतालीश क्रोड, अडवन लख छत्रीस सहस, अॅसी नमुं कर जोड...६ असंख्याता देहरां, व्यंतरमाही जाण, ज्योतिषीमांही तिम वली, असंख्यात प्रमाण...१० ऋषभानन पूरव दिशे, दक्षिण दिशे वर्धमान, चंद्रानन पश्चिम मही, वारिषेण उत्तर स्थान...११ चार नाम ते शाश्वता, धनुष पांचसे देह, सात हाथनी वली कही, जिन पडिमा गुणगेह...१२ हवे कहुं अशाश्वतो, पडिमा गुण भंडार, सिद्धाचल गिरनारे, अष्टापद गिरि सार...१३ आबु तीरथ अति भलं, समेतशिखर मन धारो, वीस जिनेसर शिव वर्या, पाम्या भवनो पारो...१४ पावापुरी चंपापुरी, राजगृही मनोहार, तीरथ नाम सोहामणा, आनंद मंगल कार...१५ महीयल मां तीरथ घणां, वंदो थई उजमाळ, खिमाविजय जस शुभ मने, नित नित मंगलमाळ...१६
[२] कोडि सात ने लाख बहोतेर वखाणं,
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