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तीर्थ-जिन विशेष
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धातुमय प्रतिमा वळी, कारीगर मंदिर, कोरणी घोरणी तिहां घणी, पहोंचाडे भवतीर...३... देराणी जेठाणी गोख जे, सर्जनहार अनूप, वस्तुपाल विमलतणां, गावे रूप सरूप...४... भाव धरीने भेटीयो, उपन्यो अति आणंद, धर्मरत्न कृपा करी, देजो परमाणंद...५...
पंचतीर्थ अंतर्गत अष्टापदजी नु चैत्यवंदन [६] अष्टापद गीरि शोभता, जिन बिंब मनोहार, भरते भावे भरावीया, पामी प्रभु आधार... ऋषभ अजित पूरव दिशे, संभव अभिनंदन, सुमति पद्मप्रभु वळी, दक्षिण करू वंदन...२ सुपारस ने चंद्रप्रभु, सुविधि शीतलनाथ, श्रेयांस वासुपूज्यजी, विमल अनंत वर नाथ...३... पश्चिमे ते अड कह्या, उत्तरमा दश जाण, धर्म शांति कुंथु अरु, मल्लिनाथ वखाण...४... मुनिसुव्रत नमि नेमिने, पार्श्वनाथ महावीर, जगचिंतामणी वंदतां, गौतम गणधर धीर...५... निज लब्धि जे चढे, अष्टापद गिरीराज, ते भव मुक्ति पामता, धर्मरत्न महाराज...६...
पंचतीर्थ अंतर्गत समेतशिखरजी नु चैत्यवंदन [१०] च्यवन जन्म दीक्षा वळी, नाण अने निर्वाण, सवि तीर्थंकर जाणीये, कल्याणक गुणखाण...१... वर्तमान चोवीशीना, अकसो वीश सोहाय, ते मांहेला वीशना, सम्मेत गीरिजे थाय...२...
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