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चैत्यवंदन संग्रह
कन्या पद्म प्रभु नेम वीर, पास सुपास तुलाओ, राशि वृश्चिक धन ऋषभदेव, सुविधि शीतल जिनराय... मकर सुव्रत श्रेयांसने अ, बारमा घट मीन लील, विमल अनंत अरनामथी, सुखिया श्री शुभवीर... ३ B. N. आमां राशि प्रास नो मेल नथी सुज्ञो अ तपासवु । श्री अरिहंत प्रभुना चोत्रीश अतिशय नु चैत्यवंदन अद्भुत अतिशय जेहने, होय जन्मथी चार, रोग स्वेद मल रहित देह, होये रूप उदार... १ सवि शुभ परिमलथी अधिक, जास सास उसास, रुधिर मांस उज्ज्वल अनिंद्य, गोक्षीर सम भास... २ चर्मं चक्षु गोचर नहीं थे, आहार ने निहार, ज्ञानविमल प्रभ जिन तणां, जन्म संघाते चार... ३ भगवदलंकृत क्षेत्रमां सुर नर रहे हरसी, वाणी योजन गामिनी, सवि भाषा सरिषी...४ भामंडल पाछल रहे, चउदिशि अहे उड़द, पणवीश योजन लगे नहि, रूजा वैर अनिट्ठ... ५ इति मारी दुर्भिक्ष नहीं, स्व-पर चक्र अतिवृष्टि, अनावृष्टि अकादशी, घातिकर्म क्षयनी सृष्टि ... ६ धर्मचक्र चामर धजा, सिंहासन छत्र, त्रिगडे चउमुख सोहिओ, सुवर्ण नव कमल पवित्र... ७ चैत्य तरू सवि तरू नमे, कंटक अधो वदने, रोम केश वाधे नहीं, अनुकूलता पवने...८ प्रदक्षिणा पंखो दीये अ, अतिही दुंदुभि नाद, सुरभि गंध जल वृष्टिशुं पंचवर्ण कुसुम पाद...
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