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तीर्थ-जिन विशेष
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हवे चोराशी लाख वर्ष, बारमा बहोतेर लाख, छासठे त्रीश ने दशन, शांति अकज लाख...३... पंचाणुं हजारनु, अर चोरासो हजार, पंचावन त्रीशने दशर्नु, नेमि अंक हजार...४... पार्श्वनाथ सो वरसनु, बहोंतेर श्री महावीर, अहवा जिन चोवीशर्नु, आयु सुणो सुधीर...५...
जिन देह वर्णन नु चैत्यवंदन अद्भुत रूप सुगंधी श्वास, नहीं रोग विकार, मेल नहीं जस देह रेह, प्रस्वेद लगार...१... सागर वर गंभीर धीर, सुरगिरि सम जेह, औषधिपति सम सौम्य कांति, वर गुण गण गेह...२... सहस अष्टोत्तर लक्षणे अ, लक्षित जिनवर देह, तस पद पद्म नम्या थकी, न रहे पापनी रेह...३...
चोवीश जिनना देहमान नु चैत्यवंदन प्रथम तीर्थकर देहडी, धनुष पांचसे मान, पचास पचास घटाडता, सो सुधी भगवान...१... सोथी दश-दश घटतं, पचासथी पांच पांच, नेमिनाथ बावीसमा, दश धनुषनुं वांच...२... पारसनाथ नव हाथर्नु, सात हाथ महावीर, अहवा जिन चोवीशन, कवियण कहे सुधीर...३...
चोवीश तीर्थकरनी राशि नु चैत्यवंदन शांति नमी मल्ली मेष छे, कुंथु अजित वृषभाति, संभव अभिनंदन मिथुन, धर्म करक सिंह सुमति...१
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