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तीर्थ-जिन विशेष
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मल्लिनाथ ने सुविधिनाथ, दो नीला निरख्या, मुनिसुव्रत ने नेमिनाथ, दो अंजन सरीखा...२... सोळे जिन कंचन समाओ, अवा जिन चोवीश, धीरविमल पंडित तणो, ज्ञानविमल कहे शिव...३...
चोवीश जिननां लंछन नु चैत्यवंदन
वृषभ लंछन ऋषभदेव, अजित लंछन हाथी, संभव लंछन घोडलो, शिवपुरनो साथी...१... अभिनंदन लंछन कपि, कोंच लंछन सुमति, पद्म लंछन पद्मप्रभु, सेव्यो दे सुगति... सूपावं लंछन साथीओ, चंद्रप्रभ लंछन चंद, मगर लंछन सुविधि प्रभु, श्रीवत्स शीतल जिणंद...३... लंछन खड्गी श्रेयांसने, वासुपूज्य ने महिष, सूवर लंछन विमलदेव, भविया ते नमो शीष...४... सिंचाणो जिन अनंतने, वज्र लंछन श्री धर्म, शांति लंछन मृगलो, राखे धर्म नो मर्म...५... कुंथुनाथ जिन बोकडो, अरजिन नंदावर्त्त, मल्लि कुंभ वखाणि), सुव्रत कच्छप धर्त... नमिजिनने नीलो कमल, पामीओ पदकज मांही, शंख लंछन प्रभु नेमजी, दीसे उंचे त्यांही...७... पार्श्वनाथ चरण सर्प, नील वरण शोभित, सिंह लंछन कंचन तनु, वर्धमान विख्यात...८... अणोपरे लंछन चितवीओ, ओळखीओ जिनराय, ज्ञानविमल प्रभु सेवता, लक्ष्मीरतन सूरिराय...६...
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