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[ १२० ]
चैत्यवंदन संग्रह
ओम चोवीश जिन समरतां, पहोंचे मननी आस, ज्ञानविमल सूरि इम भणे, पामे लील विलास...५ [३] श्री शंखेश्वर इश्वरं, प्रणमी त्रिकरण योग, देव नमन चउमासिये, करशुं विधि संयोग ... १... ऋषभाजित संभव तथा अभिनंदन जिनचंद,
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सुमति पद्मप्रभ सातमा, स्वामी सुपास जिणंद...२... चंद्रप्रभ सुविधि जिन, श्री शीतल श्रेयांस, वासुपूज्य विमल तथा अनंत धर्म वर वंश...३... शांति कुंथु अर प्रभु, मल्ली सुव्रत स्वाम, नमि नेमिसर पास जिन, वर्धमान गुणधाम... ४... वर्त्तमान जिन बंदताओ, वंद्या देव त्रिकाल, प्रभु शुभ गुण मुक्ता तणी, वीर रचे वरमाल... ५... चोवीश जिननां गणधरोना चैत्यवंदन
[१] प्रथम तीर्थंकरने नमुं, गणधर चोराशी देव, पंचाणु जिन अजितनां, वंदु हुं नित्यमेव... श्री संभव जिनवर तणां, गणधर ओकसो होय, अभिनंदन चोथा प्रभु, ओक्सो सोल तस होय...२... सुमतिनाथ प्रभुजी तणां, गणधर ओकसो जाणं, पद्मप्रभ स्वामी तणां, ओक सो सात वखाणं...३... श्री सुपास जिन सातमा, गणधर पंचाणु सार, त्राणुं चंद्रप्रभु
तणां,
उतारे
भवपार... ४...
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