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चत्यवंदन सग्रह
निर्मल जिन पंदरमाओ, जीव सुलसा भावि, चित्रगुप्त जिन सोलमा, रोहिणी मन भावि...८.. समाधि जिन सत्तरमा, रेवती श्राविका जाण, श्री संवर जिन अढारमा, जीव शतानिक वखाण...... श्री यशोधर ओगणीशमा, जीव किसन द्विपायण, विजय नाम जिन वीशमा, जीव करण सुजाण...१०... अकवीसमा श्री मल्लनाम, जीव नारदनो कहिये, अंबड श्रावक जीव देव, बावीशमा लहीये...११.. अनंतवीर्य त्रेवीसमा, जीव अमरनो अह, भद्रकृत जिन चोवीशमा, शतबुद्धि गेह...१२... ओ चोवीशे जिन होशे, आवंते काले, भावसहित जे वांदशे, ते थइ उजमाले...१३... लंछन वर्ण प्रमाण आयुष, चढतां सवि निरखो, सांप्रत जिन चोवीश अ, अंतर सवि परखो...१४... पंच कल्याणक तेहना अ, होशे एकज दिस, धीरविमल पंडित तणो, ज्ञानविमल सूरोश...१५...
[२] पद्मनाभ सुरदेव ने, सुपास स्वयंप्रभ नाथ, सर्वानुभूति तथा, देवश्रुत शिवसाथ...१ उदय पेढाल ते आठमा, पोटिल ने शतकीत्ति, सुव्रत अममने निष्कषाय, निष्पुलाक निर्मम विरती...२... चित्रगुप्त समाधि जिन, संवर यशोधर ईश, विजय मल्लने देवप्रभ, अनंत वीर्यं जगदोश...३...
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