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(३५)
सुरलोके सुरसुन्दरी. भली मलो थोके थोक ते तीर्थेश्वर प्रणमिये, गावे जेहना श्लोक....१९.... योगीश्वर जस दर्शने, ध्यान समाधि लीन ते तीर्थेश्वर प्रणमिये, हुआ अनुभव रसलीन....२०.... मानुगगने सूर्य शशी, दिये प्रदक्षिणा नित्त । ते तीर्थेश्वर प्रणमिये, महिमा देखण चित्त....२१.... सुर असुर नर किन्न रा, रहे छे जेहनी पास ते तीर्थेश्वर प्रणमिये, पामे लील विलास....२२.... मंगलकारी जेहनी, मतिका हारी भेट ते तीर्थेश्वर प्रणमिये, कुमति कदाग्रह मेट....२३.... कुमति कौशिक जेहने, देखी झांखा थाय ते तीर्थेश्वर प्रणमिये, सवि तस महिमा गाय....२४.... मरजकुडना नीरथी, आधि व्याधि पलाय ते तीर्थेश्वर प्रणमिये, जस महिमा न कहाय...२५.... सुन्दर टुक सोहामणि, मेरु सम प्रासाद ते तीर्थेश्वर प्रणमिये, दूर टले विखवाद....२६.... द्रव्य भाव वैरी घणा, जिहां आव्ये होय शांत ते तीर्थेश्वर प्रणमिये, भांगे भवनी भ्रांत....२७....
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