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३७९ २८५
अणुओगदाराई १४५ १०६
२८३
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२८६
तीसरे भाग में तेजस शरीर त्रिप्रदेशिक आनुपूर्वियां त्रिप्रदेशिक आनुपूर्वी देशोन लोक में दो भावों का विकल्प द्रव्य अक्षीण द्रव्य प्रमाण द्रव्यानुपूर्वी द्रव्यानुपूर्वी के भेद द्रव्यावश्यक
६४० ३७०-३७२
१०५
२८५
४८२
१११
२८५
२१२
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३५१
१५५ २३०
१२८ १४९
३१२ २४०; २४४
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क्षपणा क्षेत्र की दृष्टि से....असंख्यातवां भाग ४८७ क्षेत्र की दृष्टि से ...दो सौ छप्पन अंगुलवर्ग रूप प्रतिभाग जितनी होती है ४९९ क्षेत्र की दृष्टि से....प्रमाण जितनी श्रेणियां हैं
५०३ क्षेत्र की दृष्टि से वे अंगुलप्रतर या आवलिका के असंख्यात भाग रूप प्रतिभाग जितने होते हैं
४८२ क्षेत्र की दृष्टि से....श्रेणियों के असंख्येय वर्गमूल जितनी होती है क्षेत्र के संयोग से होने वाला नाम ३३३ क्षेत्रानुपूर्वी गण गणनाम
३४५ घनअंगुल
३९३,४११ घोटमुख चार ज्ञान (प्रतिपादन में अक्षम होने के कारण) स्थाप्य (असंव्यवहार्य) हैं अतएव स्थापनीय हैं चारित्रगुण प्रमाण चूहे के रोमों का सूत जघन्यत: एक समय जघन्य पद में छियानवे बार छिन्न हो सके उतने होते हैं
४९० जिसकी आत्मा समानीत है
७०८ जीवनहेतु नाम जैसे तुम हो वैसे ही हम थे ५६४ ज्ञान के पांच प्रकार प्रज्ञप्त हैं ज्ञानगुण प्रमाण
-प्रत्यक्ष प्रमाण --अनुमान प्रमाण ---उपमान प्रमाण
--आगम प्रमाण तगरातट
३६३ तत्पुरुष
३५५ तद्धितज तद्व्यतिरिक्त द्रव्य शंख
—एकभविक ----बद्धायुष्क
---अभिमुखनाम गोत्र तरंगवतीकार
३२०
१२९
२८५
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२१३
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३२६
द्विगु
३५४ द्विनाम
२४८ द्विप्रदेशिक अवक्तव्य नक्षत्र से होने वाला नाम ३४०,३४१ नय
५५४-५५७ -प्रदेश दृष्टान्त -प्रस्थक दृष्टान्त
-वसति दृष्टान्त नयों के संदर्भ में वक्तव्यता नाटक नाना द्रव्यों की अपेक्षा नियमतः सर्व लोक में होते हैं नाम
२४६,२४७ नाम और स्थापना में अन्तर नामकरण के आधार नाम से होने वाला नाम नामावश्यक नामिक
२७० निक्षेप
५,६१८ निक्षेप नियुक्ति अनुगम निश्चित रूप से सादि पारिणामिक १२९ नैगम व्यवहार आनुपूर्वी का अन्तर नंगम व्यवहार आनुपूर्वी का काल १२६ नैगम व्यवहार का भङ्गसमुत्कीर्तन नंगम व्यवहार द्रव्यानुपूर्वी का अल्पबहुत्व
१३० नैगम व्यवहार द्रव्यानुपूर्वी का भाग
१२८ नंगम व्यवहार नय सम्मत अनोपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी
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