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आमुख
प्रस्तुत प्रकरण में निक्षेप के तीन प्रकारों का निरूपण किया गया है। नामनिष्पन्न निक्षेप के वर्णन में सामायिक पद की विस्तृत चर्चा की गई है। उस चर्चा में सामायिक विषयक छह श्लोक हैं। ये श्लोक संकलन काल में अथवा देवधिगणी के उत्तरकाल में प्रासंगिक गाथाओं के रूप में जुड़े हैं, ऐसी संभावना की जा सकती है । आवश्यकनिर्युक्ति में प्रथम चार श्लोक उपलब्ध हैं । किन्तु 'नोआगमओ भावसामाइए' का इन श्लोकों और गाथाओं के अतिरिक्त कोई निरूपण नहीं है। इससे अनुमान किया जा सकता है कि आर्यरक्षित ने स्वयं इन गाथाओं का प्रयोग किया है।
स्थानाङ्ग सूत्र में सात नयों के नाम मिलते हैं । किन्तु उनके निरुक्त या लक्षण वहां नहीं हैं। प्रस्तुत प्रकरण में चार गाथाओं में इनके लक्षण निर्दिष्ट हैं। ये गाथाएं आर्यरक्षित कृत हैं अथवा आवश्यकनिर्यक्ति से उद्धृत है, यह विमर्शनीय है । प्रतीत होता हैं प्रसंगवश ये गाथाएं आवश्यक नियुक्ति से उद्धृत की गई हैं। इस लघुकाय प्रकरण में अनेक महत्त्वपूर्ण विषय हैं जो बहुत मननीय हैं ।
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