SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 328
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ग्यारहवां प्रकरण हिन्दी अनुवाद भाव प्रमाण-पद ५०६. वह भाव प्रमाण क्या है ? भाव प्रमाण के तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-गुण प्रमाण, नय प्रमाण और संख्या प्रमाण ।' ५०७. वह गुण प्रमाण क्या है ? गुण प्रमाण के दो प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसेजीवगुण प्रमाण और अजीवगुण प्रमाण । ५०८. वह अजीवगुण प्रमाण क्या है ? अजीवगुण प्रमाण के पांच प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-वर्गगुण प्रमाण, गन्धगुण प्रमाण, रसगुण प्रमाण, स्पर्शगुण प्रमाण और संस्थानगुण प्रमाण । मूल पाठ संस्कृत छाया भावप्पमाण-पदं भावप्रमाण-पदम् ५०६. से कि तं भावप्पमाणे? भाव- अथ किं तद् भावप्रमाणम् ? प्पमाणे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा- भावप्रमाणं त्रिविधं प्रज्ञप्त, तद्यथागुणप्पमाणे नयप्पमाणे संख- गुणप्रमाणं नयप्रमाणं संख्याप्रमाणम् । प्पमाणे॥ ५०७. से कि तं गुणप्पमाणे? गुणप्प- अथ किं तद् गणप्रमाणम् ? गुण- माणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- प्रमाणं द्विविधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा--जीवजीवगुणप्पमाणे य अजीवगुणप्प- गुणप्रमाणञ्च अजीवगुणप्रमाणञ्च । माणे य॥ ५०८. से कि तं अजीवगुणप्पमाणे? अथ किं तद् अजीवगुणप्रमाणम् ? अजीवगुणप्पमाणे पंचविहे पण्णत्ते, अजीवगुणप्रमाणं पञ्चविधं प्रज्ञप्तं, तं जहा वण्णगुणप्पमाणे गंध- तद्यथा-वर्णगणप्रमाणं गंधगुणप्रमाणं गुणप्पमाणे रसगुणप्पमाणे फास- रसगुणप्रमाणं स्पर्शगुणप्रमाणं संस्थान गुणप्पमाणे संठाणगुणप्पमाणे। गुणप्रमाणम् । ५०६.से कि तं वण्णगुणप्पमाणे? अथ किं तद् वर्णगुणप्रमाणम् ? वण्णगुणप्पमाणे पंचविहे पण्णत्ते, वर्णगुणप्रमाणं पञ्चविधं प्रज्ञप्तं, तं जहा-कालवण्णगुणप्पमाणे तद्यथा कालवर्णगुणप्रमाणं नीलवर्णनीलवण्णगुणप्पमाणे लोहियवण्ण- गुणप्रमाणं लोहितवर्णगुणप्रमाणं गुणप्पमाणे हालिद्दवण्णगुणप्पमाणे हारिद्रवर्णगुणप्रमाणं शुक्लवर्णगुणसुक्किलवण्णगुणप्पमाणे । से तं प्रमाणम् । तदेतद् वर्णगुणप्रमाणम् । वण्णगुणप्पमाणे ॥ ५१०. से कि तं गंधगुणप्पमाणे? गंध- अथ किं तद् गन्धगुणप्रमाणम् ? गुणप्पमाणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा गन्धगुणप्रमाणं द्विविधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा -सुन्भिगंधगुणप्पमाणे दुढिमगंध- सुरभिगन्धगुणप्रमाणं दुरभिगन्ध- गुणप्पमाणे । से तं गंधगुणप्प- गुणप्रमाणम् । तदेतद् गन्धगुणमाणे॥ प्रमाणम् । ५११. से कि तं रसगुणप्पमाणे? रस- अथ किं तद् रसगुणप्रमाणम् ? गुणप्पमाणे पंचविहे पण्णत्ते, तं रसगुणप्रमाणं पञ्चविधं प्रज्ञप्तं, जहा तित्तरसगुणप्पमाणे कडुय- तद्यथा-तिक्तरसगुणप्रमाणं कटुकरसगुणप्पमाणे कसायरसगुणप्प- रसगुणप्रमाणं कषायरसगुणप्रमाणम् माणे अंबिलरसगुणप्पमाणे महुर- अम्लरसगुणप्रमाणं मधुररसगुणप्रमारसगुणप्पमाणे । से तं रसगुणप्प- णम् । तदेतद् रसगुणप्रमाणम् । माणे॥ ५०९. वह वर्णगुण प्रमाण क्या है ? ___वर्णगुण प्रमाण के पांच प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-कृष्णवर्ण गुण प्रमाण, नीलवर्ण गुण प्रमाण, रक्तवर्ण गुण प्रमाण, पीतवर्ण गुण प्रमाण और शुक्लवर्ण गुण प्रमाण । वह वर्णगुण प्रमाण है। ५१०. वह गन्धगुण प्रमाण क्या है? गन्धगुण प्रमाण के दो प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-सुरभिगन्ध गुण प्रमाण और दुरभिगन्ध गुण प्रमाण। वह गन्धगुण प्रमाण है। ५११. वह रसगुण प्रमाण क्या है ? रसगुण प्रमाण के पांच प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-तिक्तरस गुण प्रमाण, कटुरस गुण प्रमाण, कषायरस गुण प्रमाण, अम्लरस गुण प्रमाण और मधुररस गुण प्रमाण। वह रसगुण प्रमाण है। Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy