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________________ पहला प्रकरण १-२८ सूत्र १-५ अनुयोग द्वार का विषय-श्रुतज्ञान विषयानुक्रम : रेखाचित्र केवलज्ञान उद्देश समुद्देश .अनुज्ञा अनुयोग मतिज्ञान मनःपर्यवज्ञान श्रुतज्ञान अंग प्रविष्ट अवधिज्ञान अंग बाह्य कालिक आवश्यक व्यतिरिक्त उत्कालिक आवश्यक बहुअध्ययन युक्त -१ श्रुत स्कन्ध सूत्र ६-२८"आवश्यक" शब्द का निक्षेप (आवश्यक शब्द के समस्त अर्थों का व्यवस्थित प्रस्तुतीकरण एवं प्रस्तुत प्रसंग में अर्थ का निर्णय एवं पर्यायवाची शब्द) बहु अध्ययन युक्त एकश्रुत स्कन्ध १. नाम आवश्यक ४ाभाव २. स्थापना आगमत: १.ज्ञशरीर द्रव्य आवश्यक ३. द्रव्य २. भव्यशरीर द्रव्य आवश्यक नोआगमत: निक्षेप की सामान्य पद्धति . | ३. ज्ञशरीर भव्यशरीर व्यतिरिक्त द्रव्य आवश्यक १. आगमत: १. लौकिक २. नोआगमत: २. कुप्रावचनिक |३. लोकोत्तर लौकिक कुप्रावचनिक लोकोत्तर भाव आवश्यक ८पर्यायवाची शब्द - आवश्यक, अवश्यकरणीय, ध्रुवनिग्रह, विशोधि, छ:अध्ययन समूह, न्याय, आराधना, मार्ग Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
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