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________________ पांचवां प्रकरण मूल पाठ संस्कृत छाया हिन्दी अनुवाद खेत्ताणुपुवी-पदं क्षेत्रानुपूर्वी-पदम् क्षेत्रानुपूर्वी-पद १५५. से कि तं खेत्ताणपुव्वी ? अथ कि सा क्षेत्रानुपूर्वी ? क्षेत्रानु- १५५. वह क्षेत्रानुपूर्वी क्या है ? खेत्ताणपुव्वी दुविहा पण्णता, तं पूर्वी द्विविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा क्षेत्रानुपूर्वी के दो प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसेजहा-ओवणिहिया य अणोव- औपनिधिको च अनौपनिधिको च । औपनिधिकी और अनौपनिधिकी।' णिहिया य॥ १५६. तत्थ णं जा सा ओवणिहिया सा तत्र याऽसौ औपनिधिको सा १५६. जो औपनिधिकी है वह स्थापनीय है। ठप्पा ॥ स्थाप्या। १५७. तत्थ णं जा सा अणोवणिहिया तत्र याऽसौ अनौपनिधिकी सा १५७. जो अनौपनिधिकी है उसके दो प्रकार सा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- द्विविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-नगम- प्रज्ञप्त हैं, जैसे-नैगम-व्यवहारनय सम्मत नेगम-ववहाराणं संगहस्स य॥ व्यवहारयोः संग्रहस्य च । अनौपनिधिकी और संग्रहनय सम्मत अनौपनिधिकी। नेगम-ववहाराणं अणोवणिहिय-खेत्ताण- नगम-व्यवहारयोः अनौपनिधिको- नेगम-व्यवहारनय सम्मत अनौपनिधिकोपुव्वी -पदं क्षेत्रानुपूर्वो-पदम् क्षेत्रानुपूर्वी-पद १५८. से कि तं नेगम-ववहाराणं अथ कि सा नंगम-व्यवहारयोः १५८. वह नैगम और व्यवहारनय सम्मत अनौप अणोवणिहिया खेत्ताणपुवी ? अनौपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी ? नंगम- निधिको क्षेत्रानुपूर्वी क्या है ? नेगम-ववहाराणं अणोवणिहिया व्यवहारयोः अनौपनिधिको क्षेत्रानुपूर्वी नैगम और व्यवहारनय सम्मत अनौपखेत्ताणपुव्वी पंचविहा पण्णत्ता, तं पञ्चविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-१. अर्थ- निधिकी क्षेत्रानुपूर्वी के पांच प्रकार प्रज्ञप्त जहा-१. अट्ठपयपरूवणया २.. पदप्ररूपणा २. भङ्गसमुत्कीर्तनम् हैं, जैसे-१. अर्थपदप्ररूपण, २. भंगभंगसमुक्कित्तणया ३. भंगोव- ३. भङ्गोपदर्शनम् ४. समवतारः समुत्कीर्तन, ३. भंगोपदर्शन, ४. समवतार, दसणया ४. समोयारे ५. अणगमे॥ ५. अनुगमः । ५. अनुगम। १५६. से कि तं नेगम-ववहाराणं अथ कि सा नैगम-व्यवहारयोः १५९. वह नैगम और व्यवहारनय सम्मत अर्थपद अट्ठपयपरूवणया ? नेगम-ववहाराणं अर्थपदप्ररूपणा ? नैगम-व्यवहारयोः प्ररूपण क्या है ? अटुपयरूवणया-तिपएसोगाढे अर्थपदप्ररूपणा--त्रिप्रदेशावगाढः नैगम और व्यवहारनय सम्मत अर्थपदआणुपुवी चउपएसोगाढे आणु- आनुपूर्वी चतुष्प्रदेशावगाढः आनुपूर्वी प्ररूपण-त्रिप्रदेशावगाढ़ आनुपूर्वी, चारप्रदेपुव्वी जाव दसपएसोगाढे आण- यावत् दशप्रदेशावगाढः आनुपूर्वी शावगाढ़ आनुपूर्वी यावत् दसप्रदेशावगाढ़ पुवी संखेज्जपएसोगाढे आणुपुवो संख्येयप्रदेशावगाढः आनुपूर्वी असंख्येय- आनुपूर्वी, संख्येयप्रदेशावगाढ़ आनुपूर्वी, असंखेज्जपएसोगाढे आणुपुव्वो। प्रदेशावगाढ: आनुपूर्वी । एकप्रदेशाव- असंख्येयप्रदेशावगाढ़ आनुपूर्वी। एकप्रदेशावएगपएसोगाढे अणाणपुवी। दुपए- गाढः अनानुपूर्वी । द्विप्रदेशावगाढः गाढ़ अनानुपूर्वी । द्विप्रदेशावगाढ़ अवक्तव्य । सोगाढे अवत्तव्वए। तिपएसोगाढा अवक्तव्यकम् । त्रिप्रदेशावगाढाः आनु- त्रिप्रदेशावगाड़ आनुपूर्वियां, चारप्रदेशावगाढ़ आणुपुव्वीओ चउपएसोगाढा पूर्व्यः चतुष्प्रदेशावगाढाः आनुपूर्त्यः आनुपूर्वियां यावत् दसप्रदेशावगाढ़ आनुपूर्वियां, आणपुवीओ जाव दसपएसोगाढा यावत् दशप्रदेशावगाढाः आनुपूर्व्यः संख्येयप्रदेशावगाढ़ आनुपूर्वियां असंख्येयप्रदेआणपुव्वीओ संखेज्जपएसोगाढा संख्येयप्रदेशावगाढाः आनुपूर्व्यः शावगाढ़ आनुपूवियां। एकत्रदेशावगाढ़ Jain Education Intemational www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only
SR No.003627
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages470
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_anuyogdwar
File Size24 MB
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