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उत्तरज्झयणाणि
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अध्ययन १४ : श्लोक ५२, ५३
जिनकी आत्मा पूर्व-जन्म में कुशल-भावना से भावित थी वे सब–राजा, रानी, ब्राह्मण पुरोहित, ब्राह्मणी और दोनों पुरोहित कुमार अर्हत् के शासन में आकर दुःख का अंत पा गए—मुक्त हो गए।
५२.सासणे विगयमोहाणं
पुब्बिं भावणभाविया। अचिरेणेव कालेण
दुक्खस्संतमुवागया।। ५३. राया सह देवीए
माहणो य पुरोहिओ। माहणी दारगा चेव सव्वे ते परिनिव्वुड।।
शासने विगतमोहानां पूर्वं भावनाभाविताः। अचिरेणैव कालेन दुःखस्यान्तमुपागताः।। राजा सह देव्या ब्राह्मणश्च पुरोहितः। ब्राह्मणी दारको चैव सर्वे ते परिनिर्वृताः।।
-त्ति बेमि।।
-इति ब्रवीमि।।
-ऐसा मैं कहता हूं।
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