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________________ दूसरा श्रुतस्कन्ध, तृतीय वर्ग : सूत्र १-१० ४०८ तइयो वग्गो तृतीय वर्ग पढमं अज्झयणं : अध्ययन १ 'अला' अला १. जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं धम्मकहाणं बिइयस्स वग्गरस अयम पण्णत्ते, तदयस्त्र णं भंते! वग्गस्स समणेणं भगवया महावीरेण के अड्डे पण्णत्ते ? २. एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं तइयस्स वग्गस्स चउपण्णं अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा--पढमे अज्झयणे जाव चपण्णमे अज्झयणे ।। ३. जइ णं भंते । समणेणं भगवया महावीरेणं धम्मकहाणं तइयस्स वग्गस्स चउपण्णं अज्झयणा पण्णत्ता, पढमस्स णं भते! अज्झयणस्स समणेण भगवया महावीरेण के अट्ठे पण्णत्ते ? ४. एवं खलु जंबू तेगं कालेणं समएणं रायगिहे नयरे गुणसिलए चेइए। सामी समोसढे । परिसा निग्गया जाव पज्जुवासइ ।। ५. तेणं काले तेणं समएणं अला देवी धरणाए रायहाणीए अलावडेंसए भवणे अलंसि सीहासणंसि एवं कालीगमएण जाव नट्टविहिं उवदसेत्ता पगिया|| ६. पुव्यभवपुच्छा ।। ७. वाणारसीए नयरीए काममहावणे चेइए। अले गाहावई अलसिरी भारिया । अला दारिया । सेसं जहा कालीए, नवरं-धरणअग्गमहिसित्ताए उनवाओ साइमं अद्धपलिओवमं ठिई सेसं तहेव ।। ८. एवं खलु जंबू समणेण भगवया महावीरेणं तइयस्स वग्गस्स पढमज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते ।। २६ अज्झयणाणि ९. एवं कमा, सतेरा, सोयामणी, इंदा, घणविज्या वि सव्वाओ एयाओ धरणस्स अग्गमहिसीओ ।। ७-१२ अज्झयणाणि १०. एए छ अायणाणि वेणुदेवस्स वि अविसेसिया भाणियन्वा ।। Jain Education International नायाधम्मकहाओ १. भन्ते! यदि श्रमण भगवान महावीर ने धर्मकथाओं के द्वितीय वर्ग का यह अर्थ प्रज्ञप्त किया है तो भन्ते! तृतीय वर्ग का श्रमण भगवान महावीर ने क्या अर्थ प्रज्ञप्त किया है? २. जम्बू ! श्रमण भगवान महावीर ने तृतीय वर्ग के चौवन अध्ययन प्रज्ञप्त किए हैं, जैसे--पहला अध्ययन यावत् चौवनवां अध्ययन । ३. यदि श्रमण भगवान महावीर ने धर्मकथाओं के तृतीय वर्ग के चौवन अध्ययन प्रज्ञप्त किए हैं तो भन्ते! प्रथम अध्ययन का श्रमण भगवान महावीर ने क्या अर्थ प्रज्ञप्त किया है ? ४. जम्बू ! उस काल और उस समय राजगृह नगर था । गुणशिलक चैत्य । स्वामी समवसृत हुए। जनसमूह आया यावत् पर्युपासना की। ५. उस काल और उस समय अला देवी धरणा राजधानी के अलावतंसक भवन में अलसिंहासन पर विहार कर रही थी यावत् वह काली के समान नाट्य विधि प्रदर्शित कर वापस चली गयी । ६. पूर्वभव पृच्छा। ७. वाराणसी नगरी में काममहावन चैत्य अल गृहपति, अलश्री भार्या, अला बालिका । शेष काली के समान । विशेष - धरण की अग्रमहिषी के रूप में उपपात । कुछ अधिक अर्द्धपत्योपम की स्थिति शेष पूर्ववत् । 1 ८. जम्बू ! इस प्रकार श्रमण भगवान महावीर ने तृतीय वर्ग के प्रथम अध्ययन का यह अर्थ प्रज्ञप्त किया है। २-६ अध्ययन ९. इसी प्रकार -- क्रमा, सतेरा, सौदामिनी, इन्द्रा, घन, विद्युत -- ये सब धरण की अग्रमहिषियां थी । ७-१२ अध्ययन १०. वेणुदेव के ये छह अध्ययन भी पूर्व के अध्ययनों के समान ज्ञातव्य हैं। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003624
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages480
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size17 MB
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