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________________ नायाधम्मकहाओ नायाधम्मकहाओ में दो पद हैं- १. नाया, २. धम्मकहाओ । दोनों पद बहुवचनान्त है। प्रस्तुत आगम के दो श्रुतस्कन्ध हैं। नाया का सम्बन्ध प्रथम श्रुतस्कन्ध से है। धर्मकथा का सम्बन्ध दूसरे श्रुतस्कन्ध से है। धर्मकथा का अर्थ स्पष्ट है। ज्ञात का अर्थ दृष्टान्त, उदाहरण है। प्रस्तुत आगम चरणकरणानुयोग के अन्तर्गत है । इस दृष्टि से प्रस्तुत आगम में चरित्र का संपोषण करने वाली घटनाओं, दृष्टान्तों और कथाओं का समावेश किया गया है। आगम साहित्य में कथा साहित्य का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। जनसाधारण तक पहुंचाने के लिए सरल और सरस माध्यम की आवश्यकता होती है, उस आवश्यकता की पूर्ति का सर्वोत्तम माध्यम है कथा । उसमें दर्शन, संस्कृति और लोक जीवन की अमूल्य धरोहर प्राप्त होती है। आगम कथा साहित्य पर अब तक अपेक्षित कार्य नहीं हो सका। यदि उस पर एक व्यवस्थित और योजनाबद्ध कार्य किया जाए तो भारतीय संस्कृति और जीवन शैली को नया प्रकाश मिल सकता है। प्रस्तुत आगम गद्यप्रधान है। गद्य के अनेक रूप हैं। कहीं-कहीं काव्यात्मक शैली का गद्य है तो कहीं-कहीं वर्णनात्मक शैली का । कहीं-कहीं समासान्त वाक्यों की भरमार है तो कहीं-कहीं मुक्त वाक्य हैं कहीं-कहीं पद्य भी हैं। विषय-वस्तु के प्रतिपादन की शैली का विचार करने पर एक निष्कर्ष स्पष्ट रूप से सामने आता है-आगम संकलन के समय कुछ विषयों के प्रतिपादन की एक निश्चित शैली बनाई गई थी। उस पर ऐतिहासिक दृष्टि से विचार नहीं किया जा सकता, केवल प्रतिपादन शैली की दृष्टि से विचार किया जा सकता है। Jain Education Intemational. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003624
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2003
Total Pages480
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_gyatadharmkatha
File Size17 MB
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