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वा०-सन्नी मनुष्य नागकुमार में जावं, तेहनां नवू ही गमे जघन्य भव २, उत्कृष्ट भव ८ । चउथे पांचमे छठे-ए तीन जघन्य गमे णाणत्ता ५-अवगाहना जघन्य-उत्कृष्ट पृथक आंगुल नी १, आऊ जघन्य-उत्कृष्ट पृथक मास २, तीन ज्ञान अने तीन अज्ञान नी भजना ३, समुद्घात पांच पेहली ४, अनुबंध आऊ जेतो ५, सप्तमे अष्ठमे नवमे-ए तीन उत्कृष्ट गमे गाणत्ता ३-अगवाहना जघन्यउत्कृष्ट ५०० धनुष्य नी १, आऊ जघन्य-उत्कृष्ट कोड़ पूर्व २, अनुबंध आउखा जेतो ३ । नागकुमार में मनुष्य युगलियो ऊपज, तेहनों अधिकार'
*जय-जय ज्ञान जिनेंद्र नों। (ध्रुपदं) ४. जाव असंख्याता वर्ष नों, आयुवंत मनु जेह प्रभुजी !
ऊपजवा नैं जोग्य छ, नागकुमार विषेह प्रभुजी !
४. जाव
(श० २४११५४) असंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए
नागकुमारेसु उववज्जित्तए, ५. से णं भंते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा?
गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्साई, उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिओवमाई।
५. ते किते काल स्थितिक विषे ऊपजै ?
जिन कहै जघन्य सुजोय गोयम जी! वर्ष सहस्र दश स्थिति विषे,
जेष्ठ देसूण पल्य दोय गोयम जी !
[वीर कहै सुण गोयमा] ६. इम जिम पूर्वे आखियो, असंख वर्षायु तियंच गोयम जी।
नागकमार में ऊपजै, तसु धुर गम त्रिण संच गोयम जी ।। ७. एहनां पिण तिमहीज जे, धुर त्रिण गम कहिवाय । __णवरं इतरो विशेष छै, प्रथम द्वितीय गम मांय ।। ८. तनु अवगाहन जघन्य थी, पांचसो धनु अधिकाय ।
उत्कृष्टी अवगाहना, तीन गाउ कहिवाय ।।
६. एवं जहेव असंखेज्जवासाउयाणं तिरिक्खजोणियाणं
नागकुमारेसु आदिल्ला तिण्णि गमगा ७. तहेव इमस्स वि, नवरं-पढमबितिएसु गमएसु
८. सरीरोगाहणा जहणेणं सातिरेगाइं पंचधणुसयाई,
उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई।
सोरठा ९. पूर्व काले संच, कुलकर तणी अपेक्षया ।
साधिक धनु शत पंच, गाउ त्रिण सुर कुरु प्रमुख ।।
१०. *तृतीये गमे अवगाहना, जघन्य देसूण गाउ दोय ।
उत्कृष्ट तीन गाऊ तणी, शेष तिमज अवलोय ।।
१०. तइयगमे ओगाहणा जहण्णेणं देसूणाई दो गाउयाई', उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई । सेसं तं चेव १-३ ।
(श० २४११५५)
सोरठा ११. देश ऊण गाउ दोय, एते अवतपिणी तणां ।
द्वितीय आरा नां सोय, किताक भाग गयां ह॥ १२. *तेहिज सन्नी मनु जुगलियो, पोते जघन्य स्थितिवंत ।
तुर्य पंचमे नैं छठे, ए त्रिहुं गमे उदंत ॥ १३. जिम तेहिज मनु युगल नों, जघन्य स्थितिक नों जेह।
असुर में ऊपजतां थकां, गमे तीन कह्या तिम लेह ।। *लय : तारा हो प्रत्यक्ष मोहनी १. परि. २. यंत्र २४
१२. सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीओ जाओ, तस्स
तिसु वि गमएसु १३. जहा तस्स चेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स तहेब निरवसेसं ४-६।
(श० २४११५६)
७४ भगवती जोड़
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