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________________ कषाय इन्द्रिय द्वार समुदधात द्वार देदना द्वार | वेद द्वार | २ ३ १६ आयुद्वार अध्यवसाय द्वार| अनुबंध द्वार जघन्य उत्कृष्ट । असंख्याता जघन्य | उत्कृष्ट नाणत्ता कायसंवेध द्वार जघन्य काल उत्कृष्ट काल जघन्य उत्कृष्ट | ३ पहली २ नपुंसक अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त | मुंडा अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त १अंतर्मु १अंतर्मु. १अंतर्मु अंतर्मु. १.अंतर्मु १ कोठपूर्व ४ अंतर्मु ४ कोडपूर्व ४ अंतर्मु ४ अंतर्मु ४ अंतर्मु ४ कोडपूर्व कवाय द्वार समुदपात द्वार| वेदनाद्वार नाणता वेदनार आयुद्वार अध्यवसाय द्वार अनुबंध द्वार | जघन्य | उत्कृष्ट | असंख्याता | जघन्य | उत्कृष्ट कायसवेध द्वार जघन्य काल उत्कृष्ट काल उत्कृष्ट ३ अंतर्मुहूर्त १ कोडपूर्व | भला मुंडा | अंतर्मुहूर्त १कोड पूर्व | १अंतर्मु अंत १अंतर्मु, अंत ४कोडपूर्व ३ कोडपूर्व ३ पल्य ४ अंतर्मु.४ अंतर्मु. पृथक गारा १ कोडपूर्व | मला मुंडा | पृथक मास १ कोड पूर्व १पृथक मास३पल्य १कोडपूर्व ३ पल्य केवल बर्जी अव, आयु, अनु पहली अंतर्मुहूर्त अंतर्मुहूर्त | मुंडा | अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त अब, लेश्या दृष्टि, शान-अज्ञान योग समु./ आयु.आय, अनु १अंतर्मु १अंतर्ग, १अंत अंतर्मु.. १अंतर्मु.१कोडपूर्व ४ अंतर्मुहूर्त ४ कोडपूर्व ४ अंतर्मुहूर्व ४ अंतर्मु, ४ अंतर्मुहूर्त ४ कोडपूर्व ४ ३ | कोडपूर्व १ कोडपूर्व भला चूंडा कोडपूर्व | १ कोडपूर्व केबलबजी अ० आयु. अनुबंध १कोडपूर्व १आM १कोडपूर्व १ अंग १कोडपूर्व ३ पल्य ४कोडपूर्वकोडपूर्व ३ पल्य ४ कोडपूर्व ४ अंतर्नु १कोडपूर्द ३पल्य १६ १२ कवाय द्वार इन्द्रिय द्वार | समुद्घात द्वार| वेदनाद्वार| वेद द्वार | आयुद्वार १६ अध्यवसाय द्वार अनुबधद्वार असंख्याता जघन्य उत्कृष्ट नाणत्ता २० कायसवेध द्वार जघन्य काल उत्कृष्ट काल जघन्य । उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट ५पहली २स्त्री | १० हजार १सागर पुरुष मला मुंडा |हजार १सागर वर्व | जामो १० हजार वर्ष अंतर्मु १० हजार वर्ष १अंतर्मु. १० हजार वर्ष १कोडपूर्व ४सागर जाझो ४ कोडपूर्व ४ सागर जाझो ४ अंतर्मु. ४ सागर जाझी४ कोडपूर्व ५पहली । २ मला भुंडा २स्त्री पुरुष १० हजार | १० हजार | वर्ग १० हजार १० हजार | वर्ग वर्ष आय १० हजार वर्ष १अंतर्मु १० हजार वर्ष १अंतर्मु. १० हजार वर्ष १ कोडपूर्व । ४० हजार वर्ष ४ कोडपूर्व ४० हजार वर्ष ४ अंतर्म ४० हजार वर्ष४ कोडपूर्व अनुबंध ५पहली २ सागर- सागर १सागर २ स्वी पुरुष १सागर जाझो به يه १सागर जानो अंतर्मु १सागर जाझो अंतर्मु १सागर जाझोपकोडपूर्व ४सागर जाझो ४ कोडपूर्व ४सागरजाशो४ अंतर्मु. ४सागर जाझो ४ कोडपूर्व अनुबंध له गमा २६३ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003622
Book TitleBhagavati Jod 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages360
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size18 MB
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