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________________ १६ वेद द्वार संज्ञा द्वार कषाय द्वार इन्द्रिय द्वार - समुद्धात द्वार वेदनाद्वार अध्यवरायद्वार नाणता आयुद्वार उत्कृष्ट जघन्य असंख्याला जघन्य । उत्कृष्ट भला डा पहली नपुंसक अंगुहा दिन रात अंतर्मुहूर्त १फर्श पहली १नपुंसक अंतर्मुहूर्त | मुंडा अंत हो अंतर्मुहर्त आयु. अध्य० अनु० पहली नपुंसक दिन रात दिन रात दिन रात दिन रात आयु अनुबंध वनस्पतिरोऊ जान काल उत्कृष्ट काल जघन्य काल उत्कृष्ट काल अंगई अंत अंतर्मु १ पता ३ हजार वर्ष असंख काल असंखकाल | असंखकाल असंख काल १२ दिन रात १२ हजार वर्ष अंत अंत १अंतर्मु १अंतर्ग १अंतर्मु १० हजार वर्ष असंखकाल असंयकाल असंखकाल असंखकाल १२ दिन रात ४० हजार वर्ष पा, १अंतर्मु. अंतण १ अंतर्नु अंतम् ३ हजार वर्ष असंख काल असंखकाल असंख काल असंख काल ४ अंतर्मु १२ हजार वर्ष अंत अंत अंतर्मु, १ अंत अंत हजार वर्ष अरांस काल असंख काल अरांस काल असंख काल ४ अंत ४० हजार वन ३लि रात अंतर्मु. १२ दिन रात १२ हजार वर्ष । दिन रात १अंतर्मु १२ दिन रात ४ अंत. दिन रात ३हजार वर्ष । १२ दिन रात १२ हजार वर्ष दिन रात अंत दिन रात अंत ३दिन रात १० हजार वर्ष १२ दिन रात ४० हजार वर्ष १२ दिन रात अंत १२ दिन रात ४० हजार वर्ष गमा २४५ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003622
Book TitleBhagavati Jod 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages360
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size18 MB
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