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________________ ७४. उत्कृष्टो अवधार, अद्धा अष्ट कोड पूर्व बे भव प्यार पस्योपम सार ७५. जे गमे संदेह, वर्ष सहस्र दश जेह अंतर्मुहुर्त ७६. उत्कृष्टो अवधार, अद्धा अष्ट भवां च्यार पल्योपम सार, अंतर्मुहूर्त्त चिउं ७७. तीजे गमे संदेह, बे ७८. उत्कृष्टो अवधार, प्यार पत्योपम सार ७९. च गमे संदेह, बे सहस्र दश ८०. उत्कृष्टो मुजगीस, अढा वर्ष 1 भव अद्धा जघन्य थी । वर्ष सहस्र दश जेह, कोड़ पूर्व पं. तिरि भवे ।। भवां तणों । पं.- तिरि ॥ जघन्य थी । पं. - तिरि ॥ भवां तणों। पं. तिरि ॥ वर्ष सहस्र चालीस कोड़ पूर्व चितं ही ॥ ८१. पंचम गम संदेह, वे भव अद्धा जघन्य थी । वर्ष सहस्र दश जेह, अंतर्मुहूर्त अधिक ८२. उत्कृष्टो सुजगीस, अढा अष्ट भवां तणों। वर्ष सहस्र चालीस अंतर्मुहुर्त चिदं तिरि ॥ ८३. षष्ठम गम संवेह, बे भव अद्धा जघन्य थी । पं. तिरि भवे ॥ भवा तणों। चिउं पं. - तिरि ॥ जघन्य थी । अंतर्मुहुर्त पं. तिरि ॥ अष्ट अद्धा अष्ट भवां तणों । को पूर्व चि पं.- तिरि ॥ भव अद्धा जघन्य थी । लेह, अतर्मुहूर्त्त पं. - तिरि ॥ ८८. उत्कृष्टो अवधार, अद्धा अष्ट भवां तणों । इक पल्य व्यंतर व्यंतर लेह, च्यार पल्योपम सार, ८९. नवम गमे संवेह, बे अंतर्मुहूर्त्त चिउं तिरि ॥ भव अद्धा जघन्य थी । इक पत् व्यंतर लेह ९०. उत्कृष्टो अवधार को पूर्व पं. तिरि भवे ॥ अद्धा अष्ट भव तणों । प्यार पत्योपम सार को पूर्व चिरं पं. तिरि ॥ ९१. * जो देव जोतिषी थी वली, कहियै ते उपपातो जी कांइ । तिमहिज पूर्व शेत स्यूं भेद करी आख्यातो जी हांई ॥ तिच पंचेंद्रिय में ज्योतिषी ऊप तेन अधिकार' ९२. जाव जोतिषी हे प्रभु तिरि पंचंद्री विषेो जी कांई। इत्यादिक पूछेहो जी कांइ ॥ जे ऊपजवा योग्य ते १. देखें परि. २, यंत्र ९६ *लय : कुशल देश सुहामणों Jain Education International भवां वर्ष सहस्र दश जेह, कोड़ पूर्व ८४. उत्कृष्टो सुजगीस, अद्धा वर्ष सहस्र चालीस, कोड़ पूर्व ८५. सप्तम गम संवेह, बे भव चितं अद्धा अष्ट कोड़ पूर्व चि कोड़ पूर्व चिउं इक पल्य व्यंतर लेह, ६. उत्कृष्टो अवधार, अद्धा प्यार पल्वोपम सार ८७. अष्टम गम संवेह, बे अद्धा भव अद्धा जेह, अंतर्मुहूर्त्त अद्धा अष्ट तणों। पं. तिरि ॥ जघन्य थी । अधिक ही ॥ तणों। तिरि ॥ ९१. जइ जोतिसिय ? उववाओ तहेव ९२. जाव (१० २४२०९) जोतिरिए भी जे भविए पंचिदिवतिरिक्यजोगिए उयवित्तए ? For Private & Personal Use Only श० २४, उ० २०, डा० ४२८ १५७ www.jainelibrary.org
SR No.003622
Book TitleBhagavati Jod 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages360
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size18 MB
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