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________________ १०३. वलि पृथ्वी रै मांय, वनस्पति आवै तसं । ___ पंच णाणत्ता पाय, अवगाहन नों पंचमो॥ पृथ्वीकाय में विकलेंद्रिय ऊपजे, तेहमें नाणत्ता १०४. वलि पृथ्वी रै मांय, विकलेन्द्रिय आवै तसू । जघन्य गमे कहाय, सात णाणत्ता तेहनां ।। १०५. जघन्योत्कृष्ट अवगाह, असंख भाग आंगुल तणों। मिथ्यादृष्टिज पाय, ज्ञान नथी ए तीसरो।। १०६. जोग काया नों एक, आयु नै अनुबन्ध फुन । अन्तर्मुहुर्तज पेख, माठा अध्यवसाय हूं। पृथ्वीकाय में तियंच पंचेंद्रिय ऊपज, तेहमें नाणत्ता १०७. वलि पृथ्वी में आय, असन्नी पंचेंद्रिय तिरि । सात णाणत्ता पाय, जघन्य गम विकलेंद्रीवत ।। १०८. पृथ्वी माहै पेख, सन्नी तिरि आवै तसु । जघन्य गमे विशेख, कहियै छै नव णाणत्ता ।। १०९. अवगाहना जघन्य, लेश तीन पहलीज है। मिथ्यादृष्टिज जन्य, ज्ञान तास पावै नहीं ।। ११०. समुद्घात त्रिण संध, योग एक काया तणों। जघन्याय अनुबन्ध, माठा अध्यवसाय ह्र । १११. सहु पृथ्वी रै मांय, आवै तसु उत्कृष्ट गम । दोय णाणत्ता पाय, आयु में अनुबन्ध नां ॥ पृथ्वीकाय में मनुष्य ऊपज, तेहमें नाणत्ता ११२. वलि पृथ्वी में जात, असन्नी मनु षट भंगा नथी । ओघिक त्रिण गम ख्यात, नत्थि णाणत्ता तेहनां ।। ११३. वलि पृथ्वी रै मांय, सन्नी मनु जावै तसु । जघन्य गमे कहाय, कहियै छै नव णाणत्ता ॥ ११४. जघन्योत्कृष्ट अवगाह, असंख भाग आंगुल तणों। प्रथम लेश त्रिहुं पाह, दृष्टि मिथ्या त्रिहुं ज्ञान नहीं। ११५. काय योग इक संध, समुद्घात धुर त्रिहुं हुवै। जघन्य स्थिति अनुबन्ध, माठा अध्यवसाय तसु ।। ११६. उत्कृष्ट गमे कहाय, तीन णाणत्ता तेहनां । अवगाहन नों पाय, जेष्ठ स्थिति अनुबन्ध फुन ।। पृथ्वीकाय में देव ऊपज, तेहमें नाणता ११७. भवनपति दश देख, सोल जाति नां व्यंतरा। पंच जोतिषी पेख, सुर सोहम्म ईशाण नां॥ ११८. ए पुढवी में आय, जघन्य गमे बे णाणत्ता। स्थिति अनुबन्ध कहाय, उत्कृष्ट गम तेहीज बे।। पृथ्वीकाय में पांच स्थावर ऊपज, तेहनां भव ११९. पृथ्वी पृथ्वी मांहि, अप तेऊ वाऊ वली। वनस्पति वली ताहि, एह ठिकाणा पंच नों।। ११८ भगवती जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003622
Book TitleBhagavati Jod 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages360
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size18 MB
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