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________________ ३२ स.क. स.गु. स.नि. दे.शी. . दे.उ. ३२ स.क. स.सी. स.नि. दे.गु. दे.ल. सामान. ३२ स.गु. स.सी. स.नि. दे.क. दे.मृ. ए एकसौ अट्ठाईस नी ३२ चउभंगी हुवे । हिवै एहिज पंच संयोगिक नां १२८ भांगा नी ३२ चउभंगी जूजुइ कहै १ स.क. स.गु. स.सी. दे.नि.१ देसेलु.१ २ स.क. स.गु. स.सी. दे.नि. १ दे.लु. ३ ३ स.क. स.गु. स.सी. दे.नि. ३ दे.लू.१ ४स.क. स.गु स.सी. दे.नि. ३ दे.लू. ३ ए प्रथम चउभंगी कही। इम आगल पिण विचारी चउभंगी करवी। हिवै आगली चउभंगी नों प्रथम-प्रथम भांगो कहै छ२ स.क. स.गु. स.उ. दे.नि.१ दे.लु.१ ३ स.क. स.ल. स.सी. दे.नि. १ दे. लु. १ ४ स.क. स.ल. स.उ. दे.नि. १ दे.लु. १ सर्व कर्कश संघाते ए १६ भांगा च्यार चउभंगी करि कह्या । हिवै सर्व मृदु संघाते १६ भांगा नी ४ चउभंगी नों प्रथम प्रथम भांगो कहै छै५ स.मृ. स.गु. स.शी. दे.नि. दे.लु. ६ स.मृ. स.गु. स.उ. दे.नि. दे.लु. ७ स.मू. स.ल. स.शी. दे.नि. दे.लु. ८ स.म. स.ल. स.उ. दे.नि. दे.लु. एवं ३२ भांगा ए निद्ध लुक्ख नै एक वच बहु वचने करि हुवा । हिवं ३२शीत उष्ण नै एक वचन बह वचन करी चउभंगी नो प्रथमप्रथम भांगो कहै छैहिवै पंच फर्श नां १२८ भांगा हुवै, तिणमें सर्व कर्कश पवे | करी १६ भांगा हुवै ते कहै छै ११ १२ सर्व क. सर्व गु. सर्व शी. दे. नि. दे. लु. .. स स स स स स ३ ३ १ ३ क. ल. उ. दे.नि. दे.लु. २ स स स १ vorm or m ३ १४ स स स १ W.w.ww क. उ. दे.नि. दे.लु. 여 최적의 १६ स स स ३ ३ इम ए सर्व कर्कश संघाते १६ भांगा कहा। हिवै सर्व मृदु संघाते पिण १६ भांगा कहै छ mm umm स.मृ. स.गु. स.शी. दे.नि. दे.लु. स स स १ १ स स स १ ३ स स स ३ १ स स स ३ ३ १७ १८ १९ २० क. ल. शी. दे.नि. दे.लु. mom श० २०, उ० ५, ढा० ४०२ २९९ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003621
Book TitleBhagavati Jod 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages422
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size21 MB
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